आल्ट न्यूज सह संपादक मोहम्मद ज़ुबैर (Mohammad Zubair) को लेकर सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत आदेश सोमवार को सामने आया. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सोमवार को इस मामले में पूरा फैसला अपलोड किया गया. इसमें जुबैर के खिलाफ एक के बाद एक राज्य में की गई कानूनी कार्रवाई को लेकर कड़ी कोर्ट ने कई तीखी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस को मिला गिरफ्तारी का अधिकार बेलगाम नहीं है. पुलिस को इसका इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए. इसे दंडात्मक टूल की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि जब बिना विवेक इस्तेमाल किए गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तारी के अधिकार का इस्तेमाल होता है तो ये ताकत का दुरुपयोग बन जाता है. सिर्फ आरोपों के आधार पर किसी को दंडित नहीं किया जाना चाहिए.
ये भी पढ़ेंः दबंगों ने पहले युवती से पूछी जाति, फिर किया गैंगरेप !
इस पूरे घटनाक्रम पर कोर्ट ने अफने पैसले में लिका है कि ऐसा मालूम होता है कि मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ सरकारी मशीनरी लगा दी गई. देश भर में अलग-अलग FIR दर्ज होने से वो क़ानूनी प्रकिया के ऐसे भंवर में घिर गया. जहां कानूनी प्रक्रिया उसके लिए सजा जैसी हो गई. अपने आदेश में SC ने साफ कर दिया है कि ज़ुबैर को ट्वीट करने से रोके जाने का एकतरफा आदेश नहीं दिया जा सकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने आगे लिखा है कि जमानत शर्तें ऐसी होनी चाहिए, जो स्वतंत्र ट्रायल और आरोपी की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम कर सके. सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोकने का एकतरफा आदेश देना उसकी अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हनन होगा. गौरतलब है कि इससे पहले 20 जुलाई को SC के आदेश का सिर्फ ऑपरेटिव पार्ट सामने आया था. लिहाजा, कोर्ट की वेबसाइट पर सोमवार को पूरा विस्तृत ऑर्डर सामने आया है.
Source : Avneesh Chaudhary