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Supreme Court: सुभाष चंद्र बोस को 'राष्ट्र पुत्र' घोषित करने वाली याचिका पर सुप्रीम फैसला, जानें कोर्ट ने क्या कहा

Supreme Court: देश की सर्वोच्च न्यायालय ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्र पुत्र घोषित करने वाली याचिका को लेकर दिया अहम फैसला. जानें क्या कुछ कहा.

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Dheeraj Sharma
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SC Dismisses PIL Which Seeking Netaji Declare As Son Of Nation

SC Dismisses PIL Which Seeking Netaji Declare As Son Of Nation ( Photo Credit : News Nation)

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Supreme Court: भारत की आजादी में अहम योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने बड़ा फैसला लिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्र पुत्र घोषित किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. इसको लेकर शीर्ष अदालत की ओर से अहम तर्क भी दिया गया है. बता दें कि इस याचिका में कांग्रेस पर आरोप लगाया गया है कि इस दल ने देश की आजादी में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अहम योगदान को नजहरअंदाज किया है यही नहीं उन्हें याथोचित सम्मान भी नहीं दिया गया. इतना ही नहीं इस याचिका में नेताजी के गायब होने या फिर मृत्यु को लेकर सच्चाई भी जनता से सामने नहीं लाई गई. 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
नेताजी सुभाषचंद्र बोस को राष्ट्र पुत्र घोषित किए जाने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि, नेताजी सुभाषचंद्र बोस अमर हैं और उनकी महानता को दर्शाने के लिए किसी कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी की भूमिका को स्वीकार करने की घोषणा के लिए न्यायिक आदेश की ठीक नहीं होगा. क्योंकि यह उनके जैसे नेता का कद के अनुकूल नहीं है, नेताजी को कोर्ट से मान्यता के शब्द की जरूरत ही नहीं. 

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कांग्रेस से माफी की भी मांग
जनहित में दायर याचिका में ना सिर्फ नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्र पुत्र घोषित किए जाने की मांग की गई है बल्कि इस याचिका में कांग्रेस से भी बोस के योगदान को कमतर आंकने और उनके गायब होने या मृत्यु की जानकारी जनता से छिपाने के लिए देशवासियों से माफी मांगने की भी डिमांड की गई है. 

याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ये घोषणा करे कि ब्रिटिश शासन से आजादी दिलाने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज का अहम योगदान है, बल्कि इसी फौज ने देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाई है. 

याचिका में की गई ये भी मांग
याचिका के जरिए एक मांग और की गई है. इसके तहत नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन यानी 23 जनवरी को राष्ट्रीय दिवस घोषित किया जाए. बता दें कि मोदी सरकार पहले ही गणतंत्र दिवस के जश्न को 26 जनवरी के बजाय 23 जनवरी से शुरू करने की घोषणा कर चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 23 जनवरी से ही लोगों को गणतंत्र पर्व मनाने की घोषणा की थी. यह फैसला बोस के जन्मदिन को गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल करने के उद्देश्य से किया था. बता दें कि सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था. 

23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है
देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इसके पीछे मकसद था कि देश के लोग खासतौर पर युवाओं में नेताजी की तरह विपरित हालातों का सामना करने और देशभक्ति का जज्बा पैदा किया जा सके. 

Source : News Nation Bureau

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