सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को भारत-चीन सीमा पर झड़पों से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देने का निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता अभिजीत सराफ का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि जून, 2020 में गालवान घाटी में झड़प हुई थी और संघर्ष के बाद भारत का आधिकारिक रुख यह था कि देश ने कोई क्षेत्र नहीं खोया. केंद्र सरकार ने कहा कि कोई चीनी आक्रमण नहीं हुआ था, लेकिन यह गलत जवाब था.
कोर्ट ने राज्य की नीति में हस्तक्षेप से किया इनकार
प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और एस. रवींद्र भट ने कहा कि अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती और वकील से कहा कि यह राज्य की नीति से जुड़ा मामला है. इस बात पर जोर देते हुए कि भारत-चीन सीमा पर झड़पों के मामले सरकार की जांच के लिए है. पीठ ने कहा कि क्षेत्र का नुकसान हुआ है या नहीं हुआ, चाहे दूसरी तरफ से अतिक्रमण हुआ या नहीं, यह राज्य का मामला है. याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि ये सीमा पर झड़पें, आक्रमण आदि सभी नीति के दायरे में हैं और संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका से कोई लेना-देना नहीं है.
याचिकाकर्ता ने सरकार पर देश को गुमराह करने का लगाया था आरोप
याचिकाकर्ता के वकील ने जोर देकर कहा कि अदालत को केंद्र सरकार को क्षेत्र के नुकसान की सीमा के बारे में सही जानकारी देने का निर्देश जारी करना चाहिए. उन्होंने दलील दि की इस संबंध में सरकार की ओर से जारी यह बयान कि कोई क्षेत्र नहीं खोया. इसके जरिए देश की जनता को गुमराह किया गया. हालांकि, पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
Source : News Nation Bureau