अदालत की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए नियमों का मसौदा जारी, जानें डिटेल

देश की सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति ने अदालत की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए आदर्श नियमों का मसौदा जारी किया है.

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Dalchand Kumar
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SC की ई-समिति ने लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नियमों का मसौदा जारी किया( Photo Credit : फाइल फोटो)

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देश की सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति ने अदालत की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए आदर्श नियमों का मसौदा जारी किया है और सभी हितधारकों से इनपुट, फीडबैक और सुझाव आमंत्रित किया है. आदर्श नियमों का यह मसौदा ई-समिति की वेबसाइट पर उपलब्ध है. सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के कार्यान्वयन की राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना के तहत भारत सरकार के न्याय विभाग के साथ मिलकर काम कर रही है. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और ई-समिति के अध्यक्ष डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने सभी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए आदर्श नियमों के मसौदे पर इनपुट और सुझाव मांगे हैं.

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उन्होंने अपने पत्र में इस बात काउल्लेख किया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सुनिश्चित किए गए न्याय तक पहुंच के अधिकार में लाइव अदालती कार्यवाही तक पहुंचने का अधिकार भी शामिल है. व्यापक पारदर्शिता एवं समावेशिता की भावना भरने और न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, ई-समिति ने प्राथमिकता के आधार पर अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की परियोजना शुरू की है. यह कदम वास्तविक समय के आधार पर नागरिकों, पत्रकारों, नागरिक समाज, शिक्षाविदों और कानून के छात्रों के लिए सार्वजनिक हित के मामलों सहित लाइव अदालत की कार्यवाही तक पहुंच को संभव बनाएगा, जोकि भौगोलिक, लॉजिस्टिक या ढांचागत दिक्कतोंकी वजह से अन्यथा संभव नहीं था.

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लाइव स्ट्रीमिंग के लिए आदर्श नियम बनाने के लिए बॉम्बे, दिल्ली, मद्रास और कर्नाटक उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की एक उप-समिति गठित की गई थी. इस उप-समिति ने व्यापक विचार-विमर्श किया है. विचार – विमर्श के दौरान इसने वादियों और गवाहों की निजता एवं गोपनीयता, व्यावसायिक गोपनीयता से जुड़े मुद्दों, केन्द्रीय या राज्य के कानूनों द्वारा निर्धारित अदालत की कार्यवाही या सुनवाई तक पहुंच का निषेध या प्रतिबंध और कुछ मामलों में मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए बड़े सार्वजनिक हित को संरक्षित करने से जुड़ी चिंताओं समेत स्वप्निल त्रिपाठी बनाम भारत के सर्वोच्च न्यायालय, (2018) 10 SCC 639 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांतों को ध्यान में रखा. ये आदर्श नियम अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए एक संतुलित नियामक ढांचा प्रदान करते हैं.

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