सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सजा का ऐलान कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रशांत भूषण को एक रुपए का जुर्माना ठोका है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रशांत भूषण को 15 सितंबर तक जुर्माने का भुगतान करना होगा. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो 3 महीने की सजा होगी. इसके अलावा जुर्माना न देने की सूरत में वो तीन साल तक SC में बतौर वकील प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे.
फैसला पढ़ते वक़्त बेंच ने प्रशान्त भूषण के वकील राजीव धवन की ओर से पेश की गई दलीलों का हवाला दिया. धवन का कहना था कि अगर भूषण का प्रेस स्टेटमेंट देना ग़लत है तो फिर 2018 मे जजों का प्रेस कॉन्फ्रेंस करना भी ग़लत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने प्रशांत भूषण को पूरा मौका दिया पर उन्होंने अदालत में रखे दूसरे जवाब को जमकर पब्लिसिटी दी.
कोर्ट ने कहा, भूषण ने जो किया है, वो गम्भीर है. न्यायपालिका का हिस्सा होते हुए भी उन्होंने इसकी गरिमा को गिराने वाला काम किया. भूषण को क्या सज़ा दी जाए, हमने इस पर गम्भीरता से विचार किया. हमने उनको न केवल तमाम मौके दिये बल्कि प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष तरीक़े से उन्हें समझाने की कोशिश भी की कि माफी मांगकर मामला ख़त्म करें. अटॉनी जनरल ने भी उन्हें आरोप वापस लेने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने उसे भी खारिज कर दिया. भुषण ने अपने दूसरे लिखित जवाब के कोर्ट द्वारा विचार करने से पहले ही जमकर प्रचार किया. मीडिया में इंटरव्यू दिए जिससे कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंची. अगर हम उनके इस व्यवहार का संज्ञान नहीं लेते तो इससे देश भर के वकीलों /वादियों में ग़लत संदेश जाएगा लेकिन कोई सख्त सज़ा देने के बजाए हम 1 रुपये जुर्माने की सज़ा दे रहे हैं.
अगर 15 सितंबर तक वो रजिस्ट्री में ये 1 रुपया जमा नहीं कराते है तो उन्हें तीन महीने की जेल होगी और अगले तीन साल तक वो SC में प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे. प्रशांत भूषण की सज़ा तय करने वाले फैसले में कोर्ट ने कहा कि भूषण का व्यवहार से अहंकार झलकता है.
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को माफी मांगने के लिए समय दिया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इंकार कर दिया था. इसके बाद 25 अगस्त को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने पीठ से भूषण को सजा नहीं देने का आग्रह किया था. पिछली सुनवाई पर जस्टिस मिश्र की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने भूषण से कहा था कि आखिर वह क्यों माफी नहीं मांग सकते. माफी शब्द बोलने में उन्हें दिक्कत क्या है.
इसके बाद मंगलवार को प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर अटार्नी जनरल से उनकी राय मांगी थी. जिस पर अटारनी जनरल ने कहा कि भूषण का ट्वीट यह बताने के लिए था कि ज्यूडिशरी को अपने अंदर सुधार लाने की जरूरत है, इसलिए चेतावनी देकर भूषण को छोड़ देना चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूषण ने सोमवार को कोर्ट में जो अपना बयान दाखिल किया है उसमें उम्मीद थी कि अपने रवैये में भूषण कुछ सुधार करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है.
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दो ट्वीट को एससी ने माना अदालत की अवमानना
गौरतलब है कि 20 अगस्त को प्रशांत भूषण अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने सजा पर सुनवाई टाल दी थी. कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया था. भूषण ने 29 जून को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें वह एक महंगी बाइक पर बैठे थे. उन्होंने तस्वीर के साथ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थी. उसके बाद दूसरे ट्वीट में उन्होंने देश के हालात को लेकर पिछले चार प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका पर सवाल उठाए थे. भूषण के खिलाफ अवमानना का एक और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.