कोरोना वायरस (Corona Virus) से जंग के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस दीपक वर्मा (Justice Deepak Verma) ने बुधवार को प्रधानमंत्री केयर फंड (PM Care Fund) में 51 लाख रुपये दान दिए हैं. उन्होंने कोरोना वायरस की आपदा के कारण बेरोजगार होकर शहरों से गांवों की ओर पलायन करने वाले गरीब मजदूरों की मदद के लिए यह राशि दान की है. साथ ही जस्टिस वर्मा ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर शहरों में रोजगार छिनने के बाद परिवार के साथ पैदल अपने गांव लौटने को मजबूर हजारों मजदूरों की दुर्दशा पर चिंता जताई है.
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पूर्व जस्टिस दीपक वर्मा ने 51 लाख रुपये दान करने के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी को एक भावुक पत्र भी लिखा है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि मानवता इस समय सबसे मुश्किल समय में हैं. ऐसे पहले कभी नहीं हुआ था. बिना थके दिन-रात आपकी मेहनत और नेतृत्व प्रशंसा योग्य है. जो हम भारतीयों खासकर गरीबों और बेघरों को राह दिखाती है. राष्ट्र के नाम आपके संदेश और कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए देश में लॉकडाउन का आपका फैसला स्वागत योग्य है. मैं इसकी भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूं.
उन्होंने आगे पत्र में लिखा कि ऐसे समय में देश के हजारों मजदूर जो जगह-जगह से बाहर आकर अपनी रोजी-रोटी में व्यस्त रहते हैं उनके लिए यह समय बेहद मुश्लिक भरा है. वे इस समय बेरोजगार हो गए हैं और अपने घर को लौटने को मजबूर हैं. उनके पास एक रुपये भी नहीं है. उनके पास गांव जाने के लिए किराए तक के पैसे नहीं हैं. ऐसी स्थिति में ये लोग बीबी-बच्चों के साथ पदयात्रा करने को मजबूर हैं.
जस्टिस ने कहा कि बच्चों की अंगुली थामे और कंधे पर बैग का बोझ लिए उन्हें पदयात्रा करते देख बेहद दुख पहुंचता है. यह सब देखते हुए मैंने प्रधानमंत्री केयर फंड में 51 लाख रुपये दान देने का फैसला किया है, ताकि यह पैसा उन बेघर मजदूरों के पुनर्वास पर खर्च हो सके. यह कहने की जरूरत नहीं कि यह पैसे मैंने बहुत कठिन मेहनत से कमाया है और सात साल पहले सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड होने के बाद मुझे यह पैसा मिला. मेरा यही तमन्ना है कि यह पैसे उन गरीब मजदूरों तक पहुंचे.
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उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने के लिए पूरा देश तैयार है. अगर आगे भी कोई जरूरत पड़ती है तो मैं तैयार हूं. आपको बता दें कि जस्टिस दीपक वर्मा का न्यायपालिका में दशकों का अनुभव रहा है. दीपक वर्मा सुप्रीम कोर्ट में पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं. साथ ही कर्नाटक और राजस्थान हाईकोर्ट में अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं.