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Supreme Court on OROP: केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, जानें किस तरह से होगा राशि का भुगतान

वन रैंक वन पेंशन पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) के तहत बकाया राशि का भुगतान किश्तों में करने की अनुमति दी है.

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Prashant Jha
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सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)

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वन रैंक वन पेंशन पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) के तहत बकाया राशि का भुगतान किश्तों में करने की अनुमति दी है. शीर्ष कोर्ट ने पूर्व सैनिकों की पूरी बकाया पेंशन राशि का भुगतान अगले साल 28 फरवरी 2024 तक करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने लाखों पूर्व सैनिकों को किश्तों में राशि देने के लिए एक कैटगेरी भी तय किया है. इसमें फैमिली पेंशन और वीरता पुरस्कार पाने वाले 6 लाख लोगों को 30 अप्रैल तक बकाया राशि दे दी जाएगी. वहीं, 70 साल से अधिक उम्र वाले 4 लाख पेंशनर्स को 30 जून तक बकाया पेंशन राशि का भुगतान किया जाएगा.  इसके अलावा शेष 11 लाख पूर्व सैनिकों को तीन किश्तों में राशि का भुगतान किया जाएगा.  31 अगस्त, 30 नवंबर 2023 और 28 फरवरी 2024 को सभी को भुगतान कर दिया जाएगा. बता दें कि करीब 21 लाख पूर्व सैनिकों और उनके परिवार को पेंशन की बकाया राशि दी जानी है. 

सीलबंद लिफाफे पर शीर्ष कोर्ट ने जताई नाराजगी
20 मार्च को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कोर्ट में सीलबंद लिफाफे पेश किया. इसपर चीफ जस्टिस की बेंच ने नाराजगी जाहिर की. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने  कहा कि इसे गोपनीय नहीं रहने दिया जाएगा. याचिकाकर्ता को जानने का अधिकार है कि सरकार ने इसपर क्या जवाब दिया है. कोर्ट ने तीखी लहजे में कहा कि वह इस जवाब को  तभी स्वीकार करेगा जब अटॉर्नी जनरल खुद इसे सबके सामने पढ़ें. इसके बाद वेंकटरमनी ने रक्षा मंत्रालय के जवाब को कोर्ट रूम में पढ़ा. अटॉर्नी जनरल ने रक्षा मंत्रालय के जवाब में वित्त मंत्रालय की ओर से जताई गई आपत्ति का जिक्र किया. इस पर शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह सच है कि इतनी बड़ी राशि का भुगतान करना सरकार के लिए मुश्किल है. इस राशि का खर्च सरकार अन्य कामों में भी कर सकती है. कोर्ट ने किश्तों में राशि भुगतान करने का आदेश जारी किया. 

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ये है पूरा मामला
सरकार ने 28 हज़ार करोड़ रुपये की बकाया राशि को किश्तों में देने के लिए नोटिस जारी किया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ पूर्व सैनिकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामला सुलझाने की गुहार लगाई. साथ ही केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आवमानना का आरोप लगाया था, जिसके बाद चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को वापस लेने का आदेश जारी किया था. 

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