सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र के विधायक और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे को निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने और उनके खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के मामले में नियमित जमानत मांगने का निर्देश दिया. उन्हें पिछले महीने सिंधुदुर्ग जिले में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें गिरफ्तारी से दस दिन की राहत भी दी. राणे द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए, मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना, न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना ने तदनुसार याचिका का निपटारा कर दिया.
राणे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी व सिद्धार्थ लूथरा व वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ ए.एम. सिंघवी महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए. दो दिन पहले पिछली सुनवाई में रोहतगी ने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष रखते हुए कहा था कि मामला राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम है. राणे ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने अग्रिम जमानत की मांग करने वाली उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
मामला पिछले साल दिसंबर में हुई एक रोड रेज की घटना से जुड़ा है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी मोटरसाइकिल को बिना नंबर प्लेट वाली कार ने टक्कर मार दी और दावा किया कि उसने एक व्यक्ति को यह कहते सुना कि 'गोत्या सावंत और नितेश राणे को सूचित करना चाहिए'. महाराष्ट्र पुलिस ने उच्च न्यायालय के समक्ष मौखिक आश्वासन दिया था कि राणे को सोमवार तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. हालांकि, नीतीश ने दावा किया कि उन्हें सिंधुदुर्ग जिला सहकारी बैंक चुनावों में भाग लेने से रोकने के लिए मामला दर्ज किया गया था.
HIGHLIGHTS
- बीते साल रोड रेज की घटना से जुड़ा हुआ है मामला
- नितेश का कहना चुनाव लड़ने से रोकने के लिए केस
- हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई से किया था इंकार