Bhima Koregaon Row: शुक्रवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने ट्राइबल राइट एक्टिविस्ट महेश राउत को 26 जून से 10 जुलाई तक अंतरिम जमानत दे दी है. महेश राउत को साल 2018 में भीमा कोरेगांव मामले में हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. राउत को ये अंतरिम जमानत अपनी दादी की मृत्यु के बाद अनुष्ठान में शामिल होने के लिए दी गई है. राष्ट्रीय जांच प्राधिकरण (NIA) की एक विशेष अदालत राउत की जमानत की शर्तें तय करेगी.
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाश पीठ ने महेश राउत के जमानत मामले की सुनवाई की है. साथ ही NIA से राउत की जमानत याचिका पर निर्देश लेने को कहा है.
2018 में गिरफ्तार हुआ था महेश राउत
गौरतलब है कि, राउत को 2018 में गिरफ्तार किया गया था. वह वर्तमान में मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. तलोजा में कैद रहने के दौरान, 33 वर्षीय राउत 3 मई 2024 को अपनी कानून प्रवेश परीक्षा पास करने में सफल रहे थे.
सितंबर 2023 में, शीर्ष अदालत ने राउत को जमानत देने के अपने फैसले के कार्यान्वयन पर बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा दी गई रोक को बढ़ा दिया था. NIA द्वारा राउत को जमानत देने के बॉम्बे हाई कोर्ट के 21 सितंबर के आदेश को चुनौती देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक लगा दी थी.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, भीमा कोरेगांव में प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) द्वारा समर्थित राउत के 'भड़काऊ' भाषणों ने भीमा कोरेगांव में जाति-आधारित हिंसा भड़का दी थी. राउत पर चार अन्य कार्यकर्ताओं के साथ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम अधिनियम) (UAPA) के तहत आरोप लगाया गया है.
200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एकत्र हुए थे कार्यकर्ता
31 दिसंबर, 2017 को भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कार्यकर्ता पुणे के पास एल्गर परिषद में एकत्र हुए थे.
पुलिस ने आरोप लगाया था कि वहां दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन पुणे में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक पर हिंसा हुई. बाद में मामले की जांच NIA ने की.
भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार तीन अन्य कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे और शोमा सेन को भी अंतरिम जमानत दे दी गई. फादर स्टेन स्वामी, जिन्हें इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था, का 2021 में जेल में रहने के दौरान निधन हो गया.
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