जैसा कि अंदेशा था, नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill 2019) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दे दी गई है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ याचिका दायर कर दी है. याचिका में कहा गया है, बिल के प्रावधान संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 14 (Article 14) का उल्लंघन है. धर्म के आधार पर वर्गीकरण ग़लत है. मुस्लिम लीग के सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में उनकी पैरवी वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) करेगे. अभी चूंकि बिल पर राष्ट्रपति (President) ने दस्तखत नहीं किए हैं, लिहाजा हस्ताक्षर होने के बाद अर्जी को जल्द सुनवाई के लिए मेंशन किया जाएगा.
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नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) संसद (Parliament) के दोनों सदनों से पारित हो चुका है. राष्ट्रपति (President) द्वारा इस पर जल्द मुहर लगाने की उम्मीद है. इस बिल के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली जा चुकी है. याचिका मुस्लिम लीग ने डाली है. इससे पहले बुधवार को राज्यसभा में बहस के दौरान कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं पी चिदंबरम (P.Chidambaram) और फिर कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने भी बिल के सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने का दावा किया था. हालांकि गृह मंत्री ने इसके जवाब में कहा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संसद को सुप्रीम कोर्ट का डर दिखा रहे हैं, लेकिन हम अपना काम करने से पीछे नहीं हटेंगे.
पी. चिदंबरम ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर बहस के दौरान इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा, इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और पूरा यकीन है कि वहां इसे खारिज कर दिया जाएगा. चिदंबरम ने यह भी कहा, मैं सरकार से कानूनी विभाग की राय लेने की चुनौती देता हूं. मैं सरकार से अटॉर्नी जनरल को सवालों के जवाब देने के लिए चुनौती देता हूं. संविधान का एक हिस्सा ध्वस्त किया जा रहा है." इसके जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सरकार हर बिल पर कानून विभाग की राय लेती है.
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पी. चिदंबरम ने कहा, मैं इस संसद से सरकार का विरोध करने के लिए कह रहा हूं, क्योंकि यह असंवैधानिक कदम है. चिदंबरम ने कहा कि सांसद जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं और उनकी यह जिम्मेदारी है कि उन्हें उसी विधेयक को पारित करना चाहिए, जो संवैधानिक हो. कांग्रेस नेता ने कहा कि हम सभी वकील नहीं हैं, मगर वास्तव में हम सभी को वकील होना चाहिए, ताकि हमारे अंदर वह ज्ञान और संवाद हो, ताकि हम देख सकें कि क्या संवैधानिक है और क्या नहीं.
इससे पहले, मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसके अलावा एससी-एसटी संविधान संशोधन विधेयक भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
Source : अरविंद सिंह