रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज (4 जनवरी) को महज 60 सेकंड की सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने इस मामले को 10 जनवरी तक के लिए टाल दिया. अब 10 जनवरी को कौन सी बेंच और स्पीड ट्रायल पर केस की सुनवाई होगी की नहीं इस बात का फैसला आएगा.
जैसा की पीएम नरेंद्र मोदी ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में अध्यादेश लाने के विचार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक टाल दिया है ऐसे में सबकी नजर आज सुप्रीम कोर्ट पर पर थी. लेकिन इस मामले को आगे लिए टाल दिया गया. अगर फैसला लोकसभा चुनाव के बाद आता है तो मोदी सरकार को इस दिशा में कोई कदम उठाना पड़ सकता है क्योंकि हिंदू संगठनों में मंदिर बनाने की मांग तेजी से उठ रही है.
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पीठ अयोध्या विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.
बता दें कि 27 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के इस्माइल फारूकी केस पर अपना फैसला सुनाया. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 1994 मामले को बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि हमें 1994 वाले फैसले को समझने की जरूरत होगी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मुस्लिम पक्षकारों की ओर से याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने 20 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था.
Source : News Nation Bureau