उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाएं अधिक देखने को मिल रही हैं. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है. अदालत का कहना है कि हम बारिश या क्लाउड सीडिंग के भरोसे हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठे रह सकते हैं. सरकार को कारगर रूप से कुछ करने की आवश्यकता होगी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने आग लगने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई है. इन पर तुरंत लगाम लगाने को लेकर सरकार आदेश देने की गुहार लगा रही है.
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एनजीटी में याचिका लगाई गई थी
वकील का कहना है कि दो वर्ष पहले भी एनजीटी में याचिका लगाई गई थी. अब तक सरकार ने उस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की. ऐसे में मुझे यहां पर आना पड़ा. ये पूरा मामला अखिल भारतीय है. उत्तराखंड इससे अधिक पीड़ित हो रहा है. सरकार की ओर से दावाग्नि की घटनाओं और उसे काबू करने को लेकर उपायों के बारे में बताया जाए.
298 अज्ञात लोगों की पहचान की गई
सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि अब तक जंगलों में आग की 398 घटनाएं सामने आई हैं. 350 से ज्यादा आपराधिक मामले सामने आए हैं. इनमें 62 लोगों को नामजद किया गया है. 298 अज्ञात लोगों की पहचान की गई है. कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. याचिकाकर्ता के अनुसार, सरकार जो ब्योरा दे रही है, उससे अधिक हालात गंभीर हैं. जंगल में रहने वाले जानवर , पक्षी और वनस्पति के संग रहने वाले निवासियों के अस्तित्व को काफी खतरा है. जस्टिस गवई के अनुसार, हम इसमें सीईसी यानी सेंट्रल एंपावर्ड कमिटी को भी रखेंगे ?
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि आपने ये देखा किस तरह से जंगल की आग ने भयावह रूप ले लिया है. यहां पर राज्य सरकार की कोशिशें क्या हैं? उत्तराखंड के जंगलों में आग को लेकर जस्टिस संदीप मेहता का कहना है कि हम बारिश और क्लाउड सीडिंग के भरोसे नहीं बैठ सकते हैं. सरकार को आगे आकर जल्द कारगर उपाय करने होंगे.
Source : News Nation Bureau