सुप्रीम कोर्ट ने देश में सीवर सफाई के दौरान होने वाली मौत को लेकर सख्त रवैया अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी अधिकारियों को मरने वाले परिजनों को अब 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा. न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि सीवर की सफाई के वक्त स्थायी दिव्यांगता का शिकार होने पर न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. पीठ के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा को पूरी तरह से खत्म की जाए.’ इस निर्णय को सुनाते हुए न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य दिव्यांगता से ग्रस्त है तो अफसरों को 10 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा.
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पीठ ने कई और निर्देश दिए
सुप्रीम कोर्ट ने और कई निर्देश जारी किए, इन्हें पढ़ा नहीं गया. पीठ ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने को लेकर समन्वय करना होगा. ऐसी घटनाएं न हों और इसके अलावा, उच्च न्यायालयों को सीवर से होने वाली मौत से जुड़े मामलों की निगरानी से रोका जाए. यह निर्णय एक जनहित याचिका पर लिया आया. अभी विस्तृत आदेश आना बाकी है.
पांच सालों में 347 लोगों की मौत
लोकसभा में जुलाई 2022 में आए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बीते पांच वर्षों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. इनमें से करीब 40 प्रतिशत मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुई.
Source : News Nation Bureau