CBI के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव की नियुक्ति के मामले में अटॉनी जनरल की ओर से प्रशांत भूषण के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया है. अब इस मामले में 7 मार्च को सुनवाई होगी. AG ने प्रशांत भूषण के ट्वीट का हवाला देते हुए कहा-प्रशांत भूषण ने कोर्ट में लंबित केस पर बाहर टिप्पणी की. मुझे झूठा कहा. कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया. फ़र्ज़ी दस्तावेज गढ़ने में शामिल होने का इशारा किया. मैं इससे बहुत आहत हूं. मैं उनके लिए कोई सज़ा नहीं चाहता पर कोर्ट को ये ज़रूर तय करना चाहिए कि लंबित मामलों में कोई वकील किस हद तक बाहर बयानबाजी कर सकता है.
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दरअसल प्रशांत भूषण ने ट्वीटर पर दावा किया था कि सरकार ने कोर्ट में अंतरिम निदेशक की नियुक्ति के लिए हाई पावर्ड कमेटी की इजाज़त मिलने का झूठा दावा किया, जबकि वेणुगोपाल ने PM, जस्टिस सीकरी और खड़गे के दस्तखत वाला वो प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें सरकार को अंतरिम निदेशक की नियुक्ति की इजाज़त दी गई थी.
दिलचस्प ये रहा कि अवमानना याचिका दायर करने वाले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भले ही प्रशांत भूषण के लिए सज़ा की मांग नहीं की, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भूषण के लिए सज़ा की मांग की.
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सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि प्रशांत भूषण अक्सर न्यायपालिका की अवमानना वाले बयान देते रहते हैं, उन्हें इसके लिए दंडित किया जाना चाहिए. हालांकि जस्टिस अरुण मिश्रा भी प्रशांत भूषण को सज़ा देने को लेकर केंद्र सरकार की दलीलों से आश्वस्त नजर नहीं आए.
जस्टिस मिश्रा ने कहा- अवमानना ब्रह्मास्त्र है. इसे यूं ही इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इसके लिए किसी वकील को सज़ा देने की बात तब आनी चाहिए, जब कोई दूसरा विकल्प न बचे. सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण भी कोर्ट रूम में मौजूद थे. उन्होंने कोर्ट की ओर से जारी नोटिस को स्वीकार किया और जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का वक़्त मांगा.
Source : Arvind Singh