उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति न होने के फैसले के बाद पनपे विवादों के बीच सुप्रीम कोर्ट के जज कुरियन जोसेफ ने कहा कि इस तरह की घटना पहले कभी नहीं हुई थी।
रविवार को जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा, 'मीटिंग होने जा रही हैं। यह मेरे लिए सही नहीं है कि कुछ होने से पहले बोलूं। इस तरह की घटना पहले कभी नहीं हुई कि कॉलेजियम के द्वारा भेजे गए नामों को पुनर्विचार के लिए भेजा गया।'
कॉलेजियम ने 10 जनवरी 2018 को जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा का नाम सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए भेजा था।
केंद्र सरकार ने वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा की फाइल को स्वीकार कर लिया था लेकिन जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश को पुनर्विचार के लिए भेज दिया था।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जस्टिस जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति की सिफारिश यह कह कर खारिज कर दी थी कि यह ऊपरी अदालत के मानदंडों में नहीं आता और साथ ही केरल से काफी संख्या में जजों का प्रतिनिधित्व है जहां से वे आते हैं।
उनके नाम की सिफारिश चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलेमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की सदस्यों वाली कॉलेजियम ने की थी।
जस्टिस के एम जोसेफ के बारे में:
बता दें कि जस्टिस के एम जोसेफ उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस बेंच का हिस्सा थे जिसने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेन्द्र मोदी सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था।
मार्च 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। कुछ दिनों बाद ही जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था।
जस्टिस के एम जोसेफ जुलाई 2014 से उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने हुए हैं। उन्हें 14 अक्टूबर 2004 को केरल हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया था, बाद में 31 जुलाई को 2014 को वे उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे।
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Source : News Nation Bureau