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गोरक्षकों पर कसेगी नकेल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मॉब लिंचिंग पर संसद कानून बनाए

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि कोई व्यक्ति खुद में कानून नहीं है, कानून को हाथ में लेने का किसी को हक नहीं है। देश के सेक्युलर ढांचे और कानून व्यवस्था को कायम रखना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।

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saketanand gyan
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गोरक्षकों पर कसेगी नकेल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मॉब लिंचिंग पर संसद कानून बनाए

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

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सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षा के नाम पर देश में हो रही हिंसा के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार को कहा है कि संसद में इस पर अलग कानून बनाया जाय ताकि इस अपराध में शामिल लोगों को सजा दी जाय।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है 'कोई व्यक्ति खुद में कानून नहीं है, कानून को हाथ में लेने का किसी को हक नहीं है। देश के सेक्युलर ढांचे और कानून व्यवस्था को कायम रखना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।'

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की एक बेंच ने इसे लेकर दिशा निर्देश जारी किया है और इसे चार हफ्तों के अंदर लागू करने को कहा है।

बेंच ने कहा, 'कानून-व्यवस्था, समाज की बहुलवादी सामाजिक संरचना और कानून के शासन को बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है।'

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि कोई भी कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता है या खुद के लिए कानून नहीं बना सकता है।

अपराध से निपटने के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडनीय कदमों सहित कई दिशानिर्देश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि भीड़तंत्र की अनुमति नहीं दी जाएगी।

केंद्र को अपने निर्देशों पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने इस मामले को 20 अगस्त तक स्थगित कर दिया।

इस मामले में याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह राज्यों का कर्तव्य है कि सामाजिक व्यवस्था को बना कर रखें। भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी सकती।'

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ हत्या (मॉब लिंचिंग) के खिलाफ दायर की गई अलग-अलग याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है।

इससे पहले 3 जुलाई को विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गोरक्षा के नाम पर देश में लगातार हो रही है हिंसा

गौरतलब है कि साल 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में बीफ रखने के कथित आरोप पर भीड़ ने अखलाक नाम के युवक की हत्या कर दी थी। इसके बाद भी देश में लगातार ऐसे मामले बढ़ते रहे।

अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के ही हापुड़ में कासिम नाम के युवक की भीड़ ने हत्या कर दी थी। इससे पहले अलवर में पहलू खां की हत्या कथित गोरक्षा के नाम पर कर दी गई थी। अलवर में ही एक और युवक उमर खान की हत्या इसी आरोप में कर दी गई थी।

झारखंड के रामगढ़ में अलीमुद्दीन नाम के युवक को कुछ लोगों ने पीट पीटकर मार डाला था। हाल ही में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा अलीमुद्दीन की हत्या के आरोपियों को माला पहनाने पर विवादों में घिरे थे, हालांकि बाद में उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी थी।

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Source : News Nation Bureau

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