सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे की पीठ द्वारा सुने जा रहे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और उससे मान्यता प्राप्त राज्य संघों के बीच के मामले के लिए वरिष्ठ वकील व न्यायमित्र पी.एस. नरसिम्हा को मध्यस्थ बनाया है. नरसिम्हा राज्य संघों की बात सुनेंगे और प्रशासकों की समिति (सीओए) को सुझाव देंगे. बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि यह कदम राज्य संघों के लिए बड़ी राहत की बात है. अधिकारी ने कहा कि अब राज्य संघों के पास अपनी बात को रखने के लिए विकल्प है.
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अधिकारी ने कहा, "यह कई राज्य संघों के लिए बड़ी राहत की बात है जो सर्वोच्च अदालत द्वारा बनाए गए नए संविधान के उल्लंघन को लेकर सीईओ द्वारा दाखिल किए गए एफिडेविट से हैरान थे. नए संविधान के मुताबिक, सिर्फ कार्यकारी सचिव ही बीसीसीआई की तरफ से एफिडेविट फाइल कर सकता है."
सर्वोच्च अदालत ने न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे की पीठ द्वारा सुने जा रहे बीसीसीआई और उससे मान्यता प्राप्त राज्य संघों के बीच के मामले को लेकर किसी भी तरह की अपील पर सुनवाई से देश की सभी अदालतों को रोक दिया है. पीठ ने नरसिम्हा से पूछा है कि वह सीओए द्वारा अलग-अलग राज्य संघों को दिए गए फंड को देखें. लगभग सभी राज्य संघों ने कहा है कि उनके पास फंड की कमी है.
एक राज्य संघ के अधिकारी ने कहा, "सर्वोच्च अदालत द्वारा आज दिए गए फैसले से सभी राज्य संघों में राहत है. क्रिकेट जगत के लोग सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से खुश हैं. उन्होंने कहा, "राज्य संघों के खुद के फंडों पर रोक ने जमीनी स्तर पर क्रिकेट को प्रभावित किया था. इस फैसले से उसमें राहत मिलेगी. राज्य संघों को नए एमिकस में पूरा विश्वास है. उनका निष्पक्ष रवैया हमारे लिए राहत की बात है."
इससे पिछली सुनवाई में पीठ ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश डी.के. जैन को बीसीसीआई का लोकपाल नियुक्त किया था. वहीं लेफ्टिनेंट जनरल रवि थोडगे को सीओए का तीसरा सदस्य नियुक्त किया था.
Source : IANS