आधार डेटा की गोपनीयता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को याचिकाकर्ता की दलीलें सुनी। इस दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि आधार डेटा के गलत इस्तेमाल पर कई अहम बिंदु सामने रखे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई 30 तारीख तक टाल दी है।
याचिकाकर्ता की दलीलों के मुताबिक 'लंबे समय तक इकट्ठा डाटा किसी ख़ास व्यक्ति या समुदाय की प्रोफाइलिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक सर्विलांस स्टेट को जन्म देगा, जिसकी संविधान अनुमति नहीं देता है।'
वहीं याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा, 'अगर सेना के जवानों अधिकारियों की सैलरी के लिए आधार का इस्तेमाल होता है तो डाटा लीक की हालत में यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।'
फिंगरप्रिंट की नकल पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, 'हमने सुरक्षा जानकारों की ओर से 2 एफिडेविट दाखिल किए हैं जो दिखाते हैं कि फिंगर प्रिंट्स की नक़ल की जा सकती है।'
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याचिकाकर्ता ने बायोमेट्रिक मशीनों के कोड पर सोर्स कोड खुद UIDAI को भी मालूम नहीं है, इनमें ट्रोजन हॉर्स या दूसरे प्रोग्राम हो सकते हैं जो सूचना को लीक कर सकते हैं।
इस दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि गूगल मैप जैसे एप भी आप निगरानी करते हैं।
इस पर याचिकर्ता का कहना था कि ऐसा गूगल और यूजर की सहमति से होता है। आधार का मामला बिलकुल अलग है। गूगल जैसी कंपनी और सरकार द्वारा सर्विलांस में कोई समानता नहीं।
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Source : News Nation Bureau