सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को डॉक्टरों द्वारा कोविड-19 से हुई मौतों के लिए अनुग्रह राशि का दावा करने के लिए लोगों को फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह इस मामले की जांच का आदेश दे सकता है. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि कोविड की मृत्यु से संबंधित दावों को प्रस्तुत करने के लिए एक बाहरी सीमा तय की जा सकती है अन्यथा प्रक्रिया अंतहीन हो जाएगी. मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि डॉक्टर के प्रमाण पत्र के आधार पर अनुग्रह राशि की अनुमति दी जा सकती है और कुछ मामलों में इसका दुरुपयोग किया गया है.
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि वह मामले की स्वतंत्र जांच का आदेश दे सकती है और मामले को अगले सोमवार के लिए स्थगित कर दिया. फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पर चिंता जताते हुए बेंच ने कहा, 'चिंता की बात यह है कि डॉक्टरों द्वारा दिया गया फर्जी सर्टिफिकेट एक बहुत गंभीर मुद्दा है.' शीर्ष अदालत अधिवक्ता गौरव बंसल द्वारा कोविड पीड़ितों के परिवारों को राज्य सरकारों द्वारा अनुग्रह मुआवजे के वितरण के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने मेहता की दलीलों से सहमति जताई कि कोविड की मौत के दावों को दर्ज करने के लिए एक समय सीमा होनी चाहिए. पीठ ने कहा, 'कुछ समय-सीमा होनी चाहिए अन्यथा प्रक्रिया अंतहीन रूप से चलेगी.' न्यायमूर्ति शाह ने फर्जी कोविड मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले डॉक्टरों के संबंध में केरल सरकार के वकील से सुझाव मांगे. पीठ ने कहा, 'कृपया सुझाव दें कि हम डॉक्टरों द्वारा जारी किए जा रहे फर्जी प्रमाणपत्रों के मुद्दे पर कैसे अंकुश लगा सकते हैं.' शीर्ष अदालत विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कोविड-19 मौतों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के वितरण की निगरानी कर रही है.
HIGHLIGHTS
- कोविड से मौत के फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर
- एससी कर रही 50 हजार की अनुग्रह राशि के वितरण की निगरानी