आधार की संवैधानिक वैधता की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में गुरुवार को भी बहस हुई।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने आज हुई सुनवाई में सरकार की दलीलों पर सवाल खड़े किए।
सुप्रीम कोर्ट ने आधार की मदद से बैंक फ्रॉड और आतंकियों को पकड़े जाने की दलील को खारिज कर दिया।
जब आधार के पक्ष में दलील रखते हुए अटॉनी जनरल ने कहा कि यह स्कीम बैंक फ्रॉड, बेनामी ट्रांजैक्शन जैसे कई अपराधों पर पर अंकुश लगाने में कारगर है तब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस दलील से असहमति जताते हुए कहा कि ऐसा दावा सही नहीं है।
जस्टिस ए के सीकरी ने कहा कि बैंक फ्रॉड को आधार स्कीम से नहीं रोका जा सकता क्योंकि तरह के फ्रॉड कई पहचान पत्र की वजह से नहीं होते। उन्होंने कहा कि बैंकों के पास उस शख्स की पूरी जानकारी होती है, जिसे लोन दिया होता है। बैंक फ्रॉड की असल वजह यह है कि बैंक अधिकारी और फ्रॉड करने वाले मिले हुए है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा भले ही सरकार समाज में आधार कार्ड योजना को असमानता को खत्म करने वाली योजना के तौर पर प्रोजेक्ट करे लेकिन हकीकत यह है कि असमानता की खाई अभी तक भर नहीं पाई है।
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जस्टिस सीकरी ने पूछा कि सरकार हर गतिविधि के लिए आधार चाहते हैं? क्या 144 नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं?
कोर्ट ने पूछा कि आप मोबाइल से आधार को क्यों जोडना चाहते हैं ? क्या आप हर नागरिक को आतंकी या उल्लंघनकर्ता क्यों मानते हैं ?
इसके जवाब में अटॉनी जनरल ने कहा कि आतंकी जम्मू कश्मीर में आसानी से सिम लेते हैं और मैसेज करते हैं।
इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि वह सरकार की बुद्धिमता पर शक नहीं कर रहे ,लेकिन क्या आतंकी सिम कार्ड के लिए आवेदन करते है? वह तो सैटेलाइट फोन इस्तेमाल करते हैं।
कोर्ट ने कहा, 'आप पूरे 120 करोड़ लोगों को अपने मोबाइल फोन्स को आधार से लिंक करने को कह रहे हो क्योंकि आप कुछ आतंकियों को पकड़ना चाहते हैं।'
गौरतलब है कि इससे पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सख्त सवाल करते हुए पूछा था कि क्या जानकारी के नाम पर अब सरकार को डीएनए सैंपल भी देना होगा।
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Source : News Nation Bureau