आवेदन में देरी के आधार पर एरियर देने से मना नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने एक अहम फैसले में कहा है कि आवेदन में देरी का आधार ये कतई नहीं है कि आप पेंशन में एरियर का भुगतान न करे. ये मामला बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई का है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने...

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Shravan Shukla
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Supreme Court of India

Supreme court of India( Photo Credit : File Pic)

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने एक अहम फैसले में कहा है कि आवेदन में देरी का आधार ये कतई नहीं है कि आप पेंशन में एरियर का भुगतान न करे. ये मामला बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई का है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पेंशन लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और ऐसे में एरियर के लिए आवेदन को देरी के आधार पर मना नहीं किया जा सकता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल कर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के फैसले चुनौती दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया. 

हाई कोर्ट के आदेश का एक हिस्सा सुप्रीम कोर्ट ने पलटा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के उस पार्ट को खारिज कर दिया जिसमें हाई कोर्ट ने पेंशन के एरियर को मना किया था सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवेदक पेंशन के रिवाइज दर से पेंशन पाने का हकदार है और निर्देश दिया है कि आवेदक को चार हफ्ते में पेंशन का एरियर दिया जाए. याचिकाकर्ता ने कहा था कि गोवा सरकार ने 60 के बदले 58 साल में रिटायर कर दिया और इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिकाकार्ता ने अर्जी दाखिल की और कहा कि पेंशन 60 साल तक की नौकरी के हिसाब से काउंट होना चाहिए. लेकिन पेंशन का एरियर नहीं दिया गया.

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एरियर व्यक्ति का हक, इसे मना नहीं कर सकते

इस पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) इस बात में सही हो सकता है कि उसने दो एक्स्ट्रा साल की सैलरी को मना किया लेकिन पेंशन एरियर को मना करने का कोई जस्टिफिकेशन नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एरियर का मतलब है, पेंशन-वेतन का वो हिस्सा-जो उसे पहले से मिलना चाहिए था लेकिन मिला नहीं. ऐसे में अगर इसके आवेदन में देरी भी होती है, तो एरियर का पैसा वहां से मिलना चाहिए, जहां से वेतन-पेंशन में बढ़ोतरी हुई है. या जहां से वो हिस्सा मिला ही नहीं है. ऐसे में देरी का ये मतलब नहीं है कि व्यक्ति या संस्था उस व्यक्ति के हक का पैसा मार जाए.

HIGHLIGHTS

  • सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
  • बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का हिस्सा पलटा
  • किसी का हक मारना, आवेदन में देरी की वजह नहीं बन सकता
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