SC-ST Act में तुरंत गिरफ्तारी पर दाखिल पुनर्विचार याचिका पर आया फैसला

इसके पहले न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी आर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने 18 सितंबर को इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी की थी.

author-image
Vikas Kumar
एडिट
New Update
SC-ST Act में तुरंत गिरफ्तारी पर दाखिल पुनर्विचार याचिका पर आया फैसला

SC-ST Act में तुरंत गिरफ्तारी पर दाखिल पुनर्विचार याचिका पर आया फैसला( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

SC/ST एक्ट (SC/ST Act): सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) की तीन जजों की बेंच ने आज एससी एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी (Immediate Arrest under SC ST Act) को लेकर केंद्र सरकार की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका (Review Petiton) पर फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका फैसला देते हुए कहा कि इस नियम के अंतर्गत गिरफ्तारी और जांच को लेकर गाइडलाइंस बनाने का फैसला गलत था, ये काम कोर्ट का नहीं है. इसी तर्क के साथ तीन जजों की बेंच ने पिछले साल दाखिल याचिक पर दो जजों की बेंच के फैसले को रद्द कर दिया है. 

पिछले साल दिए इस फैसले में कोर्ट ने माना था कि एससी/एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी की व्यवस्था के चलते कई बार बेकसूर लोगों को जेल जाना पड़ता है जिसके बाद कोर्ट ने तुंरत गिरफ्तारी की व्यवस्था पर रोक लगाई थी. इसके खिलाफ केंद्र सरकार ने पुनर्विचार अर्जी दायर की थी. जिस पर आज तीन जजों की बेंच का फैसला सुनाया है.

यह भी पढ़ें: महाराष्‍ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस को सुप्रीम कोर्ट से झटका, बॉम्‍बे हाई कोर्ट से मिली क्‍लीनचिट खारिज

इसके पहले न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी आर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने 18 सितंबर को इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी की थी. तीन जजों की बेंच ने आज फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का SC/ST एक्ट के मामले में गिरफ्तारी और जांच को लेकर गाइडलाइंस बनाने का फैसला गलत था. दरअसल, ये काम विधायिका का है, कोर्ट का नहीं.

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि SC/ST समुदाय के लोग अभी भी भेदभाव / अन्याय का शिकार होते रहे है. किसी एक्ट के दुरुपयोग का हवाला देकर उसके प्रावधानों को कम नहीं किया जा सकता.

यह भी पढ़ें: सीबीआई को झटका, कोलकाता के एडीजी राजीव कुमार को मिली अग्रिम जमानत

इसके पहले 2 जजों की बेंच ने फैसला दिया था कि प्राथमिक जांच के बाद ही आपराधिक केस दर्ज करने और सरकारी कर्मचारियों के मामले में गिरफ्तारी से पहले संबंधित अधिकारी से पूर्व अनुमति लेने को भी आवश्यक बना दिया था. लेकिन आज के फैसले को तीन जजों की बेंच ने फिर से पलट दिया और अपने फैसले में ये तर्क दिया कि इस एक्ट में फैसले लेने का हक कोर्ट को नहीं बल्कि विधायिका का है. 

गौरतलब है कि केंद्र सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद संसद से कानून बना चुकी है और अग्रिम जमानत का प्रावधान खत्म किया जा चुका है. कोर्ट ने कहा कि एससी/एसटी समुदाय के लोगों को अब भी छुआछूत, गाली-गलौच और सामाजिक बहुष्कार का सामान करना पड़ता है.

HIGHLIGHTS

  • एससी एसटी एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी के फैसले पर आया फैसला. 
  • सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल का खुद का ही डिसीजन पलटा. 
  • केंद्र सरकार ने दायर की थी पुनर्विचार याचिका जिस पर आज तीन जजों की बेंच ने सुनाया फैसला. 

Source : Arvind Singh

Suprme Court SC ST Act Case SC ST Act Review Petition Immediate Arrest
Advertisment
Advertisment
Advertisment