फ्री बीज, रेवड़ी कल्चर, मुफ्तखोरी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. इस दौरान सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार कि पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने कहा कि पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज के नेतृत्व में समिति बना दी जाए. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पूर्व कैग के नेतृत्व में समिति बनायी जाए। सीजेआई ने कहा कि जो रिटायर हो गया उसकी क्या वैल्यू रहती है। सवाल ये है कि फ्रीबीज चुनाव के पहले के वादे का मसला एक है, जबकि कल्याणकारी योजनाओं कि घोषणा के खिलाफ भी याचिकाएं दाखिल हुई तो फिर क्या होगा। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पोस्ट पोल वादा या योजना अलग मसला है।
सीजेआई ने कहा कि यहां पर दो सवाल हैं कि चुनाव से पहले के वादे और उनके खिलाफ चुनाव आयोग कोई एक्शन ले सकता है। भूषण ने कहा कि मेरी राय में मुख्य समस्या ये है कि चुनाव से तत्काल पहले वादा करना एक तरह से मतदाता को रिश्वत देना है। कपिल सिब्बल ने कहा कि वित्तीय संकट खड़ा होता है चुनाव से पहले ऐसे वादों से, क्योंकि वह आर्थिक हालात को ध्यान में रखकर नहीं किए जाते। सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि कई पार्टियां ऐसी भी हैं जिनकी कहीं भी सरकार नहीं है। चुनाव के दौरान कुछ भी घोषणा कर देती हैं। उनको यह भी नहीं पता कि ऐसी घोषणाएं पूरी कहाँ से होंगी...इससे मतदाता भ्रमित होते हैं।
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पार्टियां वोटर को रिझाने के लिए चुनाव से पहले वादा करती हैं। जैसे बिजली फ्री देंगे या कुछ और तो इस प्रथा को, इस रवैये को बंद करना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार इस मसले पर विचार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन क्यों नहीं करती। एसजी मेहता ने कहा, मामला आपके पास है। सरकार हरेक पहलू पर सहायता करने को तैयार है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा की वह मामले की स्टडी के लिए कमेटी क्यों नहीं बनाती. SG ने कहा कि केंद्र सरकार हर स्तर पर तैयार है, कमेटी 3 महीने में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है, कोर्ट उस पर विचार कर सकता है.
Source : Avneesh Chaudhary