देश में कोरोना संकट पर काबू पाने के लिए वैक्सीनेशन अभियान जारी है, लेकिन कई राज्यों में वैक्सीन की कमी होने की वजह से सेंटरों को बंद करने पड़े हैं. देश की सबसे बड़ी अदालत में वैक्सीनेशन को लेकर मामला है. कोरोना वैक्सीनेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लिखित आदेश जारी किया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई बिन्दुओं पर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि अभी तक कितनी प्रतिशत जनसंख्या का वैक्सीनेशन हो चुका है. इनमें कितने को सिंगल डोज लगे हैं और कितनों को दोनों डोज लगे हैं. ये भी बताइए कि कितने लोग ग्रामीण या शहरी इलाकों से हैं.
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वैक्सीन खरीद की डेटा को लेकर SC ने पूछा कि कब-कब कितनी वैक्सीन की मांग हो गई. कब तक सप्लाई आने की उम्मीद है. बाकी जनसंख्या को कब तक वैक्सीनेशन होने की उम्मीद है. ब्लैक फंगस की दवा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार क्या कर रही है? कोर्ट ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से भी कहा कि वो साफ करे कि क्या वो अपने यहां लोगों को मुफ़्त वैक्सीन दे रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी के हालात के मुताबिक 18-44 साल के लोगों के वैक्सीनेशन के लिए कम से कम 12 महीने लग जाएंगे. इस आयु वर्ग की संख्या 59 करोड़ है. उन्हें 122 डोज की जरूरत होगी. सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक हर महीने 10 करोड़ से कम ही वैक्सीन उत्पादन कर पाएंगे. 15- 20 करोड़ स्पूतनिक की डोज की उम्मीद हर महीने कम से कर रहे हैं. इस लिहाज़ से 12 महीने कम से कम लग जाएंगे-18-44 साल के लोगों के वैक्सीनेशन में. तब तक वायरस म्यूट कर सकता है. कोरोना की नई लहर का सामना करना पड़ सकता है.
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सुप्रीम कोर्ट ने 18 -44 साल के उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीनेशन का जिम्मा ख़ुद पर लेकर उसकी कीमत का मसला राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और वैक्सीन निर्माताओं पर छोड़ देने की पॉलिसी को मनमाना और अतार्किक करार दिया है.
Source : News Nation Bureau