सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को निचली अदालत की सिविल कोर्ट से जिला जज के पास ट्रांसफर करने का आदेश दिया, साथ ही अपने 17 मई के अंतरिम आदेश को भी अगली सुनवाई तक प्रभावी रखने का निर्देश दिया. ये अंतरिम आदेश यह था कि ज्ञानवापी पर न नमाज में बाधा आएगी, न ही जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है उस जगह की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ होगा, सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए क्योंकि वह इस मामले में अहम साक्ष्य हो सकता है.
जिला जज सबसे पहले याचिकाकर्ता की इस याचिका को सुनेंगे कि यह मामला पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन करता है या नहीं. सुनवाई जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष 3:00 से 4:00 बजे तक सुनवाई चली. इस एक घंटे में जस्टिस चंद्रचूड़ ने सबसे पहले याचिकाकर्ता पक्ष के वकील मुस्लिम पक्षकार हुजेफा अहमदी को सुना, जिन्होंने निचली अदालत की कार्यवाही को प्लेसिस आफ वर्शिप 1991 के सब सेक्शन 4 का उल्लंघन बताया और पूरी कार्रवाई पर ही रोक लगाने की मांग की.
मुस्लिम पक्षकार के वकील ने कहा कि बिना वजू के नमाज नहीं होती और ज्ञानवापी में वजू की जगह निर्धारित है. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने वजू के इंतजाम किए हैं और आज वहां नमाज भी हुई. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि स्थानीय डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट वजू के बेहतर इंतजाम करवाएं.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्षकार के वकील निचली अदालत के अनुभवी न्यायाधीश की योग्यता पर बार-बार सवाल ना उठाएं, फिर भी मामले को जिला जज के समक्ष ट्रांसफर करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिला जज सबसे पहले याचिकाकर्ता की इस याचिका को सुनेंगे कि यह मामला पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन करता है या नहीं.
Source : Avneesh Chaudhary