पूरा विश्व कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है. दुनियाभर में करीब डेढ़ लाख लोगों की कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण मौत हो चुकी है. 30 लाख से अधिक लोग पूरे विश्व में इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं. महामारी का यह वायरस चीन (China) के वुहान (Wuhan) शहर से निकला और देखते ही देखते पूरी दुनिया में फैल गया. चीन शुरू से ही इस बात का इनकार करता रहा है कि यह एक जैविक रसायन है लेकिन हाल ही में आई कई रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि कोरोना के पीछे चीन का ही हाथ है. इस इस मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट में भी एक जनहित याचिका दायर हुई है.
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तमिलनाडु के मदुरै के निवासी के. के. रमेश ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट केंद्र सरकार चीन को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (आईसीजे) में घसीटने का निर्देश दे. इस याचिका में मांग की गई है कि भारत को 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हर्जाना मिले. याचिका के माध्यम से मांग की गई कि केंद्र, कानून मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को इसमें पक्षकार बनाया जाए. याचिका में कहा गया कि कोरोना वायरस चीन की वुहान स्थित प्रयोगशाला से विकसित हुआ था और इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से हुई है.
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सुप्रीम कोर्ट के रुख करने के मामले में के के रमेश ने कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट का रूख इसलिए किया क्योंकि एक नागरिक इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में केस दर्ज नहीं कर सकता, केवल देश ही याचिका दायर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि चीन ने जानबूझकर जैविक / रासायनिक हथियार बनाए और कोविड 19 बड़े हिस्सों में लीक हो गया जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग मारे गए और अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद कर दिया.
Source : News Nation Bureau