सुप्रीम कोर्ट में दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने कहा - हमें हमारी लक्षमण रेखा पता है। कानून बनाने का काम संसद का है, हम ( कोर्ट ) केवल उस कानून की वैधता की समीक्षा करते हैं। केंद्र सरकार की ओर से AG ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट RP Act में चुनाव लड़ने से अयोग्यता का नया आधार तय नहीं कर सकता, ये काम संसद का है। और जब तक 'दोष' सिद्ध न हो जाये, चुनाव लड़ने पर रोक नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिनमें मांग की गई है कि गंभीर अपराधों ( जिसमें 5 साल की सजा का प्रावधान है) में कोर्ट में अगर आरोपी पर आरोप तय हो जाए तो ऐसे में आरोपी के दोषी साबित होने तक का इंतजार करने की जरूरत नहीं, बल्कि आरोप तय होते ही ऐसे नेता को चुनाव की उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर कर दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीति में अपराधीकरण को रोकना वक्त की मांग है, पूरा देश चाहता है कि ऐसा हो लेकिन कानून बनाना संसद का अधिकार है। हमारी अपनी लक्ष्मण रेखा है हम केवल कानून की समीक्षा और व्याख्या कर सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि राजनीति में भ्रष्टाचार काफी हद तक व्याप्त हो चुका है और इस पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि संसद को मौजूदा सिस्टम को रिव्यु करने की जरूरत है।
AG ने सुझाव दिया कि कोर्ट अगर चाहे तो आपराधिक मुकदमे में चार्जशीट दायर होने से लेकर मुकदमा शुरू होने तक की तमाम कानूनी प्रक्रियाओं के लिए एक निश्चित समय सीमा में पूरी होने का आदेश दे सकता है और सरकार उसके मुताबिक कानून संशोधित करे।
चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस व्यक्ति पर गंभीर आपराधिक मामला चल रहा है क्या वह संविधान की शपथ लेने के लिए योग्य है? AG ने कहा कानून भी इस बात को मानता है जब तक आप को दोषी करार नहीं दिया जाता तब तक आप उस मामले में निर्दोष हैं।
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इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
Source : News Nation Bureau