पश्चिम बंगाल ( West Bengal Violence ) में चुनाव के बाद हुई हिंसा व रेप की घटनाओं की SIT जांच और पीड़ित परिवारों को सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग पर सुनवाई 18 जून के लिए टल गई है. सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने मामले में सुनवाई केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के आग्रह पर टाली है. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की अवकाश पीठ के समक्ष पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से 18 जून को सुनवाई निर्धारित करने को कहा। अदालत मुख्य रूप से भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार और हरन अधिकारी के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक संयुक्त याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो कथित तौर पर मई में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा में मारे गए थे.
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बंगाल सरकार ने दिया यह जवाब
परिवारों ने राज्य प्रशासन और पुलिस द्वारा जांच में "पूर्ण निष्क्रियता" का आरोप लगाया है. वहीं, राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि हत्याओं के FIR दर्ज की गई थी और कई गिरफ्तारियां की गई थीं। चुनाव के बाद की हिंसा में राज्य की मिलीभगत के आरोपों पर सोमवार को दायर एक हलफनामे में, ममता बनर्जी सरकार ने कहा कि ये उपद्रवियों द्वारा सोशल मीडिया पर फैलाई गई “मनगढ़ंत कहानियां” थीं.
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जानिए क्या है पूरा प्रकरण
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में मारे गए BJP कार्यकर्ताओं अविजीत सरकार के भाई बिश्वजीत सरकार और और हरन अधिकारी की पत्नी स्वर्णलता अधिकारी ने याचिका दायर की है. इसके अलावा उन्होंने घटनाओं की SIT जांच की मांग भी की हैं. उन्होंने कहा कि दो मई को जब चुनाव के नतीजे आ रहे थे, तभी कोलकाता में बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं अभिजीत सरकार और हरन अधिकारी की हत्या कर दी गई थी. वहीं अभिजीत सरकार ने अपनी हत्या से पहले फेसबुक लाइव पर अपनी जान को खतरे की बात भी बताई थी.
HIGHLIGHTS
- पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा व रेप की घटनाओं पर सुनवाई टली
- अदालत भाजपा कार्यकर्ता के परिवार द्वारा दायर संयुक्त याचिका पर कर रही थी सुनवाई
- परिवारों ने राज्य प्रशासन और पुलिस द्वारा जांच में "पूर्ण निष्क्रियता" का आरोप लगाया है