सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीन तलाक अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी है. शुक्रवार को 19 सितंबर में लाए गए अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अध्यादेश में कोई कमी है तो संसद उसे शीतकालीन सत्र में देख सकती है. सीजेआई रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली खंडपीठ (न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यामूर्ति हेमंत गुप्ता) कहा कि अध्यादेश को दो महीने हो चुके हैं और ये छह महीने तक ही चलता है.
बता दें कि अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया सरकार ने खास तबके को निशाना बनाते हुए कानून बनाया और पारिवारिक झगड़े में जेल भेजना गलत है.
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गौरतलब है कि 19 सितंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास करने के बाद मुस्लिम महिलाएं अध्यादेश पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंदी ने हस्ताक्षर किए थे. वहीं, अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के मत से तीन तलाक की पुरानी परंपरा को खत्म करने का आदेश दिया था.
Source : News Nation Bureau