सुप्रीम कोर्ट के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 की संवैधानिक वैधता का फिर से परीक्षण करने की बात कहने के कुछ घंटों बाद ही वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा समलैंगिकता को अपराध बताने वाला यह कानून जल्द ही समाप्त हो जाएगा।
साल्वे ने कहा,' सुप्रीम कोर्ट की 9 जजो की बेंच ने एकमत होकर कहा है कि समाज आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गये समलैंगिक संबंध निजता के अधिकार का हिस्सा है। यह कानून जल्द ही औपचारिक रूप से समाप्त हो जाएगा।'
आपको बता दें कि सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को संविधान पीठ को सौंपते हुए कहा कि वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 की वैधता पर पुनर्विचार करेगी।
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अब धारा 377 की वैधता पर पुनर्विचार के लिए मामले की सुनवाई बड़ी बेंच के सामने होगी।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 2009 में दिए गए फैसले को बदलते हुए 2013 में बालिग समलैंगिकों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बनाने को अपराध करार दिया था।
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Source : News Nation Bureau