भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने दो निर्वाचन क्षेत्रों से लड़ने वाले उम्मीदवारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है.
कभी तीन लोकसभा सीटों से भी लड़ सकते थे चुनाव
साल 1996 से पहले तक दो से ज़्यादा लोकसभा (Lok Sabha) सीटों से चुनाव लड़ने की छूट थी, लेकिन रेप्रेज़ेंटेशन ऑफ़ द पीपुल ऐक्ट 1951 में संशोधन कर तीन की बजाय दो सीटों से चुनाव (General Elections 2019) लड़ने तक सिमित कर दिया गया. यदि कोई नेता दो सीटों से चुनाव जीतता है तो उसे 10 दिनों के भीतर एक सीट खाली करनी होती है. इसका सीधा अर्थ है कि देश की व्यवस्था पर एक बार फिर से एक सीट पर चुनाव का बोझ पड़ना.
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तीन जगहों से चुनाव लड़ने की बात करें तो 1957 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) में भारतीय जनसंघ की तरफ से अटल बिहारी वाजपेयी ने यूपी की 3 लोकसभा सीटों, बलरामपुर, मथुरा और लखनऊ से चुनाव लड़ा था, लेकिन एक जगह से वो अपनी जमान भी नहीं बचा सके थे.
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Source : News Nation Bureau