उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या के मामले की अदालत की निगरानी में नए सिरे जांच कराने संबंधी जनहित याचिका ठुकरा दी है. साथ ही याचिकाकर्ता सीपीआईएल पर पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
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फरवरी में हुई बहस के बाद फैसला रखा था सुरक्षित
गौरतलब है कि इसके पहले एनजीओ सीपीआईएल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील शांति भूषण और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की बहस पूरी हो जाने के बाद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उस वक्त शांति भूषण ने दलील दी कि हत्या मामले में हाल में कई नए तथ्य सामने आए हैं जिनकी नए सिरे से जांच किए जाने की आवश्यकता है.
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सुबह सैर पर की गई थी हरेन पांड्या की हत्या
सॉलिसिटर जनरल ने आरोप लगाया कि एनजीओ राजनीतिक बदला लेने के लिए जनहित याचिका अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग कर रहा है. गुजरात में नरेन्द्र मोदी सरकार में गृह मंत्री रहे हरेन पांड्या की 26 मार्च, 2003 को अहमदाबाद में लॉ गार्डन इलाके में उस समय गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी, जब वह सुबह की सैर कर रहे थे.
HIGHLIGHTS
- गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की 2003 में कर दी गई थी हत्या.
- एनजीओ सीपीआईएल ने अदालत की निगरानी में जांच की दाखिल की थी याचिका.
- याचिकाकर्ता सीपीआईएल पर पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया.