सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई को उत्तर प्रदेश में होने वाली पंचायत चुनाव की मतगणना पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मतगणना पर रोक से इनकार करते हुए आदेश दिया कि हर सेंटर पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. हर सेन्टर पर क्लास वन गैजेटेड ऑफिसर नियुक्त रहेंगे. जिनकी जिम्मेदारी होगी कि उस सेंटर पर कोविड प्रोटोकॉल का अमल सुनिश्चित किया जाए. सिर्फ उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि को ही सेंटर पर आने की इजाजत होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रत्याशी, प्रतिनिधि या सरकारी अधिकारी हर किसी का कोविड टेस्ट नेगेटिव आने के बाद ही आने की इजाजत होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि जो प्रोटोकॉल सामने रखा गया है उसका सख्ती के साथ पालन होना चाहिए. जब तक मतगणना केंद्र पर काउंटिंग पूरी नहीं हो जाती, उस इलाके में कर्फ्यू जारी रहेगा. किसी भी तरह का जुलूस का विजय रैली निकालने पर रोक होगी. हर मतगणना केंद्र पर एंटीजन टेस्ट का इंतजाम रहेगा. मतगणना केंद्र पर सैनिटाइजेशन का भी ध्यान रखा जाएगा.
यह भी पढे़ंः आज आएगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V, कोरोना से जंग में बनेगी हथियार
कोर्ट ने पूछा- क्यों नहीं टाली जा सकती मतगणना
हालांकि कोर्ट ने फैसले से पहले राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा कि क्या मतगणना कराना इतना जरूरी है कि उसको तीन हफ्ते के लिए टाला नहीं जा सकती है. इस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मेडिकल एक्सपर्ट से बात करने के बाद काउंटिंग को कराने का फैसला लिया गया है.
यह भी पढ़ेंः गुजरात के भरूच में कोविड अस्पताल में भीषण आग, 18 की मौत
सरकार बोली-आपदा का कब कर रहे सामना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षक संगठन की तरफ से बताया गया है कि 700 से ज्यादा शिक्षकों की मौत चुनाव के दौरान हुई, आप इस स्थिति को कैसे संभाल लेंगे. इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि जिन राज्यों में चुनाव नहीं हो रहे हैं, वहां पर भी कोरोना के मामले और मौतें में बढ़ी हैं. दिल्ली में भी मौत की संख्या बढ़ी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा जब पंचायत चुनाव शुरू हुए थे उस दौरान कोरोना कि दूसरी लहर नहीं आई थी. यह भयंकर आपदा है जिसका हम सब सामना कर रहे हैं.