सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की राज्य के बाहर मामले की सुनवाई से जुड़ी याचिका खारिज कर दी. सर्वोच्च अदालत ने इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उनके वकील महेश जेठमलानी से कहा कि परमवीर खुद 30 साल से महाराष्ट्र पुलिस में सेवा दे रहे हैं. इसके बावजूद उन्हें राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है. वह राज्य से बाहर मामला भेजने की मांग कर रहे हैं, यह अजीब सी बात है. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वह दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते.
परमबीर सिंह ने लगाया था जांच के नाम पर परेशान करने का आरोप
परमबीर सिंह ने उनके खिलाफ चल रहे मामले की राज्य से बाहर सुनवाई की याचिका में कहा था कि अनिल देशमुख पर 100 करोड़ से ज़्यादा उगाही का आरोप लगाने के चलते उन्हें विभागीय जांच के जरिये परेशान किया जा रहा है. इस याचिका में परमवीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर पुलिस के जरिए मनी कलेक्शन स्कीम चलाने के भी आरोप लगाए हैं. परमवीर के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि परमवीर को याचिका वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर वह इसे वापस नहीं लेते हैं तो उन्हें आपराधिक मामलों में फंसा दिया जाएगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से उन्हें इस मामले में कोई राहत नहीं मिली है.
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महाराष्ट्र सरकार ने 15 जून तक गिरफ्तारी पर लगाई थी रोक
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामले में 15 जून तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी. राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने अपने बयान में कहा कि पुलिस सिंह को 15 जून तक गिरफ्तार नहीं करेगी. न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादार ने पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे की शिकायत पर सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज करने का अनुरोध करने वाली मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त की याचिका पर सुनवाई 14 जून तक के लिए स्थगित कर दी. सिंह ने राज्य सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई दो अन्य जांच को चुनौती देते हुए एक अन्य याचिका दायर की है। अदालत 14 जून को इस याचिका पर भी सुनवाई करेगी.
HIGHLIGHTS
- महाराष्ट्र पुलिस में सेवा करने के बावजूद भरोसा नहीं
- अदालत ने इस टिप्पणी के साथ खारिज की याचिका
- 15 जून तक गिरफ्तारी नहीं करने का सरकारी पक्ष