सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला की नौकरी बहाल हो गई है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महिला काम पर लौट आई है. मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट की नौकरी शुरू करने वाली महिला का आरोप था कि अक्टूबर 2018 में गोगोई ने अपने रेजिडेंस ऑफिस में उसका यौन उत्पीड़न किया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने जांच में महिला के आरोपों को बेबुनियाद माना और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को क्लीन चिट दे दी थी.
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महिला ने जो शिकायत की थी, उसके मुताबिक उसकी तैनाती सीजेआई के रेजिडेंस ऑफिस में थी. आरोप है कि जस्टिस रंजन गोगोई ने वहां उसे गलत तरीके से छुआ. महिला का यह भी दावा था कि इस घटना के बाद उसका कई बार तबादला किया गया. दिसंबर, 2018 में उसे सस्पेंड भी कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने इस शिकायत की सुनवाई की थी, जिसमें जस्टिस रंजन गोगोई को क्लीनचिट मिल गई थी. तीन जजों की इस समिति में जस्टिस एसए बोबडे (वर्तमान सीजेआई), जस्टिस इंदू मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी शामिल थे.
समिति ने EX CJI रंजन गोगोई को क्लीनचिट देते हुए कहा था, उनके खिलाफ कोई ठोस आधार नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय के एक नोटिस में यह जानकारी दी गई थी कि न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी.
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उधर, महिला ने जस्टिस गोगोई को क्लीनचिट दिए जाने पर निराशा जाहिर करते हुए कहा था कि उसे नौकरी से हटाए जाने के कुछ महीने बाद उसके भाई और पति को भी सस्पेंड कर दिया गया. दोनों दिल्ली पुलिस में थे. हालांकि जून, 2019 को खबर आई थी कि दोनों को दिल्ली पुलिस में बहाल कर लिया गया है. महिला के खिलाफ मार्च, 2019 में धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी देने का मामला भी दर्ज किया गया था.
उसपर आरोप लगा कि सुप्रीम कोर्ट में नौकरी दिलाने के नाम पर उसने एक आदमी से पैसे लिए थे. दिल्ली पुलिस ने बाद में इसमें क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, जिसे मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने स्वीकार कर लिया था.
Source : News Nation Bureau