उत्तर प्रदेश में पौने दो लाख शिक्षामित्रों के भविष्य को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अदालती समय सीमा और परंपरा से शाम चार बजे के बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू की जो तकरीबन छह बजे तक चली।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल व जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित कर लिया है। सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि इस मामले पर कुछ और पक्षों की राय भी समझना जरूरी है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होनी है।
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टीईटी पास शिक्षामित्रों की ओर से पेश हुए वकील संजय त्यागी ने कहा कि यूपीटेट पास शिक्षामित्रों को छूट दी जाए। उन्होंने कोर्ट में कहा कि ये लोग पूरी तरह से योग्य हैं और इन्होंने टीईटी परीक्षा भी पास की है।
त्यागी ने दलील दी कि 72826 भर्ती में भी इनका सिलेक्शन हो गया था लेकिन सरकार ने पहले से ही इनका समायोजन कर लिया था इसलिए इनको सहायक अध्यापक के पद से नहीं हटाया जाए। अदालत ने कहा कि वे इस बात को नोट कर रहे हैं कि ये शिक्षक टीईटी पास हैं।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करें। शिक्षामित्रों की ओर से पेश अधिकतर वकीलों का कहना था कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं। वे अधर में हैं। लिहाजा, मानवीय आधार पर सहायक शिक्षक के तौर पर शिक्षामित्रों के समायोजन को जारी रखा जाए।
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पिछली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिभूषण और राम जेठमलानी ने शिक्षामित्रों की ओर से बहस की। उन्होंने कहा कि सरकार को 18 वर्ष से काम कर रहे शिक्षामित्रों को एक पूल की तरह से देखने का अधिकार है।
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध ठहरा दिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था। बता दें, अब तक 1 लाख 32 हजार शिक्षामित्र, असिस्टेंट टीचर के तौर पर नियुक्त हो चुके हैं।
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HIGHLIGHTS
- शिक्षामित्रों के मामले पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है
- सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करें
- इस मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होनी है
Source : News Nation Bureau