Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने 'इच्छा मृत्यु' पर सुरक्षित रखा फैसला, केन्द्र सरकार ने किया था विरोध

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इच्छा मृत्यु भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए 'जीने के अधिकार' के हिस्से में ही आता है।

author-image
saketanand gyan
एडिट
New Update
सुप्रीम कोर्ट ने 'इच्छा मृत्यु' पर सुरक्षित रखा फैसला, केन्द्र सरकार ने किया था विरोध

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने बुधवार को इच्छा मृत्यु (लीविंग विल) पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। दो दिन की सुनवाई में मंगलवार को सरकार ने इच्छा मृत्यु का विरोध किया था।

Advertisment

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इच्छा मृत्यु भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए 'जीने के अधिकार' के हिस्से में ही आता है।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 5 जजों की संवैधानिक बेंच कर रहा है। बेंच में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भवन शामिल हैं।

एनजीओ 'कॉमन कॉज़' ने 2014 में इस मसले पर याचिका दाखिल की थी। कॉमन कॉज़ के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में दलील दी कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को 'लिविंग विल' का हक होना चाहिए।

Advertisment

और पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध 'रेप' के दायरे में, जानें क्या कहा कोर्ट ने आज

प्रशांत भूषण ने कहा कि 'लिविंग विल' के जरिये एक शख्स ये कह सकेगा कि जब वो ऐसी स्थिति में पहुँच जाए, जहां उसके ठीक होने की उम्मीद न हो, तब उसे जबरन लाइफ सपोर्ट पर न रखा जाए।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि अगर इस बात की मंजूरी दे दी जाती है तो इसका दुरुपयोग होगा।

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि क्या किसी शख्स को ये अधिकार दिया जा सकता है कि वो ये कह सके कि कोमा जैसी स्थिति में पहुँचने पर उसे जबरन जिंदा न रखा जाए और उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा कर मरने दिया जाए?

और पढ़ें: पटाखा बैन के खिलाफ कारोबारी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, बेचने की मांगी इजाजत

HIGHLIGHTS

Advertisment
  • केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि अगर इस बात की मंजूरी दे दी जाती है तो इसका दुरुपयोग होगा
  • याचिकाकर्ता ने कहा कि इच्छा मृत्यु भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए 'जीने के अधिकार' के हिस्से में ही आता है

Source : News Nation Bureau

Supreme Court common cause ngo passive euthanasia article 21 living will Prashant Bhushan euthanasia cases
Advertisment
Advertisment