सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपा जाए या नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि संविधान पीठ को सौंपे जाने पर फैसला लिए जाने के बाद क़ानून पर अंतरिम रोक को लेकर फैसला लिया जाएगा. सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपा जाए या नहीं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.
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सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि संविधान पीठ को सौंपे जाने पर फैसला लिए जाने के बाद क़ानून पर अंतरिम रोक को लेकर फैसला लिया जाएगा. इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश राजीव धवन ने संविधान पीठ को सौंपे जाने की मांग की है. उनकी ओर से दलील दी गई है कि सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने का सरकार का ये फैसला संविधान के बुनियादी ढांचे और इंदिरा साहनी मामले में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी रखने के आदेश का उल्लंघन है.
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वही केन्द्र सरकार का कहना है कि इस मामले को संविधान पीठ को सौंपे जाने की ज़रूरत नहीं है. AG ने कहा कि ये दलील कि सरकारी नौकरियों में 50 फीसदी से ज़्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता ग़लत है. तमिलनाडु में 68 फीसदी आरक्षण दिया गया है. जिसे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा और सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है.
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
- अगड़ो को आरक्षण देने पर फैसला सुरक्षित
- सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण