सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से कहा है कि वो कोर्ट द्वारा तय 15 दिन की समयसीमा में प्रवासी मजदूरों को उनके घर वापस भेजे. SG तुषार मेहता से कहा कि ये सुनिश्चित हो कि मजदूरों से इसके लिए कोई किराया न लिया जाए और सरकार हमारे दिए गए दिशा निर्देशों को प्रचार- प्रसार करे. इस मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होगी.
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बता दें, इससे 10 दिन पहले यानी 9 जून को प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 15 दिन के अन्दर मजदुरों को उनके गृह राज्य भेजा जाए और राज्यों की ओर से मांग होने पर 24 घन्टे के अंदर श्रमिक ट्रेन उपलब्ध कराई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य हेल्प डेस्क बनाये जो प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराए.
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इसी के साथ कॉउंसलिंग सेंटर बनाये जाने का आदेश दिया गया था जो मजदुरों को अगर वापस अपने काम की जगह पर जाना चाहते है, तो उसे बारे में जानकारी दे सके. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर प्रवासी मजदूरों के खिलाफ लॉक डाउन उल्लंघन का केस दायर किए गए है तो राज्य उन्हें वापस लेने पर विचार करें. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है. राज्य मजदूरों के लिए रोजगार की स्कीम की जानकारी उपलब्ध कराए.