देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के बढ़ते संकट के बीच लॉकडाउन तीसरी बार 17 मई तक बढ़ा दिया गया है. सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे चरण में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने को शराब की दुकानों को खोलने का फैसला किया है. शराब की दुकान खुलने के बाद कई जगह पर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट में शराब की दुकानों को लेकर याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखने के लिए राज्य शराब की सीधी बिक्री की बजाए होम डिलीवरी जैसे उपाय पर विचार करें. कोर्ट में दायर याचिका में शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ के चलते कोरोना संक्रमण के खतरे का अंदेशा जताया गया था. हालांकि, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित करने से मना किया, लेकिन राज्यों को सलाह दी कि वो इस पर विचार करें.
आपको बता दें कि सुप्रीम कार्ट में लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री को लेकर एक याचिका दायर की गई थी और इसे बंद कराने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि शराब की दुकान खोले जाने से बहुत से लोग सड़कों पर निकल आए हैं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो रहा. ऐसे में शराब की सभी दुकानें बंद होनी चाहिए. याचिका की पैरवी कर रहे वकील जे साईं दीपक का कहना है कि शराब की दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है.
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मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कौल ने कहा- राज्य सरकारें शराब की होम डिलीवरी के बारे में विचार करे. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप आर्टिकल-32 याचिका के जरिए हमसे क्या चाहते हैं? इस पर वकील साईं दीपक बोले- मैं चाहता हूं कि आम आदमी की जिंदगी शराब की दुकानें खुलने के चलते प्रभावित न हों. इस पर कोर्ट ने कहा- इस मामले में हम कोई आदेश जारी नहीं कर सकते हैं. इस बात पर राज्य सरकारें ध्यान दें कि शराब की दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो. हो सके तो इसकी होम डिलीवरी सुनिश्चित की जाए. इससे आसानी से सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहेगी.