सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों (Firecrackers) से होने वाले प्रदूषण (Pollution) संबंधी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पटाखे ही प्रदूषण का एकमात्र कारण नहीं हैं. कार और ऑटोमोबाइल्स कहीं अधिक मात्रा में वातावरण को प्रदूषित करते हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 3 अप्रैल की तय की गई है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'लोग पटाखों पर प्रतिबंध की मांग क्यों करते हैं जबकि साफ महसूस किया जा सकता है कि ऑटोमोबाइल्स कहीं अधिक प्रदूषण करते हैं. ' केंद्र सरकार ने कहा कि पटाखों के निर्माण में बेरियम का इस्तेमाल प्रतिबंधित किया जा चुका है. ग्रीन पटाखों का फार्मूला अभी फाइनल किया जाना बाकी है.
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केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि बेरोजगार हुए कर्मचारियों का क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि वह पटाखों और ऑटोमोबाइल्स द्वारा होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक अध्ययन कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे.
बता दें कि पिछले साल दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए कुछ हद तक बैन लगाए थे. पिछले साल अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पटाखों को केवल लाइसेंसधारी ट्रेडर्स ही बेच सकते हैं.
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इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से दिवाली पर पटाखे पर लगाई गई रोक का पूरी दिल्ली और एनसीआर में उल्लंघन किया गया. लोगों ने देर रात तक पटाखे जलाए, जिससे दीवाली की अगली सुबह इलाके में गहरा धुंध छा गया था और वायु की गुणवत्ता में गिरावट (Air Pollution) आई थी. विशेषज्ञों के अनुसार, वायु की गुणवत्ता सामान्य से छह गुना ज्यादा खराब हो गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 50 लाख किलो से ज्यादा पटाखे फोड़े गए थे.
Source : News Nation Bureau