SC ने कहा, कोई टैक्स का हिस्सा बनने पर क्या मनचाहे तरीके से टैक्स अदा करने के लिए कह सकता है

इनकम टैक्स रिटर्न और नया पैन कार्ड बनवाने के लिये आधार कार्ड को जरूरी बनाये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई।

author-image
Jeevan Prakash
एडिट
New Update
SC ने कहा, कोई टैक्स का हिस्सा बनने पर क्या मनचाहे तरीके से टैक्स अदा करने के लिए कह सकता है

आधार कार्ड (फाइल फोटो)

Advertisment

इनकम टैक्स रिटर्न और नया पैन कार्ड बनवाने के लिये आधार कार्ड को जरूरी बनाये जाने पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप एक बार टैक्स व्यवस्था का हिस्सा बन जाते हैं तो क्या आप ये कह सकते हैं कि मैं सिर्फ अपने मनचाहे तरीके से टैक्स अदा करूंगा। 

सुनवाई के दौरान जस्टिस ए के सिकरी ने कहा, 'अगर आप एक बार टैक्स व्यवस्था का हिस्सा बन जाते हैं तो क्या आप ये कह सकते हैं कि मैं सिर्फ अपने मनचाहे तरीके से टैक्स अदा करूंगा, ये भी अपने आप में एक सवाल है।'

याचिककर्ता के वकील श्याम दीवान ने अटॉर्नी जनरल की दलीलों का विरोध किया। कल आधार कार्ड के पक्ष में दलील रखते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि देश के नागरिक आधार कार्ड के लिए जाने वाले शारीरिक सैंपल के लिए मना नहीं कर सकते हैं। अपने शरीर पर पूर्ण अधिकार होना एक भ्रम है, ऐसे कई नियम हैं जो इस पर पाबंदी लगाते हैं।

श्याम दीवान ने कहा

* आधार कानून की भाषा, अटॉर्नी जनरल की दलीलों के खिलाफ है, एक्ट के मुताबिक सरकारी योजनाओं में आधार कार्ड ऐच्छिक होना चाहिए, अनिवार्य नहीं।

* यहां तक कि UDAI वेबसाइट, आधार एक्ट, खुद सरकार के विज्ञापन के मुताबिक आधार कार्ड का इस्तेमाल ऐच्छिक होना चाहिए, जबकि अटॉर्नी जनरल इसे जरूरी बता रहे हैं।

* आधार कार्ड को अनिवार्य करने से दुनियां की 1/7 आबादी की नागरिक स्वतंत्रता दांव पर लग गई हैं। लोगों की सामाजिक/ राजनैतिक विकल्प चुनने की च्वाइस खत्म हो रही है। आगे चलकर इसके गम्भीर परिणाम होंगे।

*आधार एक्ट और आईटी एक्ट का 139AA, दोनों एक दूसरे के विपरीत हैं। सरकार किसी भी प्राइवेट व्यक्ति को उसकी सेंसटिव जानकारी की किसी तीसरी प्राइवेट पार्टी को देने के लिए बाध्य नही कर सकती है। यहाँ तक कि 1948 का जनगणना एक्ट में भी लोगो की जानकारी की गोपनीयता के लिए समुचित प्रावधान है।

*आरटीआई से खुलासा हुआ कि 16900 आधार कार्ड सिर्फ डुप्लीकेशन की होने से वजह से खारिज हो गए हैं, तब अटॉर्नी जनरल कैसे दावा कर सकते हैं कि आधार कार्ड फ़र्जी नहीं बनेंगे।

*सरकार का ये दावा भी गलत हैं कि देश में करोड़ो लोगों के पास कोई दूसरी आईडी नहीं हैं। आरटीआई से पता चलता हैं कि कुल 83.5 करोड़ लोगों में से सिर्फ 2.9 लाख लोगों के पास आधार कार्ड के आलावा कोई दूसरी आईडी नहीं थी।

*सरकार लोगों के शरीर को लेकर हस्तक्षेप कर सकती हैं लेकिन वो तब, जब मसला लोगों के जीवन की सुरक्षा से जुड़ा हो, मसलन हेलमेट और सीट बेल्ट को लेकर सरकार नियम कानून बना सकती हैं।

वहीं सरकार की ओर से पेश हुए वकील अर्घ्य सेन गुप्ता ने आधार कार्ड को अनिवार्य किये जाने के पक्ष में मंगलवार को दी गई अटॉर्नी जनरल की दलीलों को दोहराया।

अर्घ्य सेन ने क्या कहा?

* फेक पैन कार्ड, टैक्स की ना अदायगी, और शैल कंपनियों पर लगाम कसने के लिए आधार कार्ड को अनिर्वाय किया जाना जरूरी है।

*सरकार आधार एक्ट इसलिए लाई क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश में कहा था कि आधार योजना को रेगुलेट करने के लिये कोई कानून नहीं है।

*आधार सिस्टम सबसे ज़्यादा सुरक्षित सिस्टम है। UIDAI से कोई डेटा लीक नहीं हुआ है।

*ये कहना गलत होगा कि 139AA के तहत सिर्फ लोग कवर होंगे, कंपनियां नहीं।

* केवल 0.2% पैन कार्ड की चेकिंग से 10 लाख बोगस पैन कार्ड पाए गए। हक़ीक़त में ये संख्या उससे कहीं ज़्यादा हो सकती है।

Source : Arvind Singh

Modi Government Supreme Court UIDAI Aadhaar pan number
Advertisment
Advertisment
Advertisment