सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों पर कोई अंकुश नहीं लगेगा. गिरफ्तारी, छापेमारी, समन, बयान समेत PMLA एक्ट में ED को दिए गए सभी अधिकार/शक्तियों को सुप्रीम ने सही ठहराया है. साथ ही माना है की ED की तरफ से दर्ज होने वाले केस ECIR की कॉपी आरोपी को देना ज़रूरी नहीं है. इसके साथ ही ईडी की शक्तियों को चुनौती देने वाली 200 से ज्यादा याचिकाओं को खारिज कर दिया. इसके अलावा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाले कानून में फाइनांस बिल के ज़रिए किस आधार पर बदलाव किए गए, उससे संबंधित मामले 7 जजों की बेंच को भेज दिए हैं
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम सहित 242 लोगों ने ईडी की शक्तियों के खिलाफ याचिका दायर की थी, ईडी के अधिकारों को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया था। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रवि कुमार की बेंच ने ईडी की शक्तियों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना ना देना, ECIR (FIR के समान) कॉपी दिए बिना व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा और अपराधी की आय और जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं पर कानून की आलोचना की गई थी, दूसरी ओर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए के प्रावधानों का बचाव किया था। सरकार ने यह कहते हुए कानून का बचाव किया है कि यह एक विशेष कानून है और इसमें इसकी अपनी प्रक्रियाएं और सुरक्षा उपाय हैं.
केंद्र ने यह भी तर्क दिया है कि मनी लॉन्ड्रिंग देश की आर्थिक ताकत के लिए एक गंभीर खतरा है। इससे निपटने के लिए एक सख्त व्यवस्था प्रदान करने की मांग की है.
बता दें की 31 मार्च, 2022 तक ईडी ने PMLA के तहत करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की, जिसमें 869.31 करोड़ रुपये जब्त किए गए और 23 आरोपियों को दोषी ठहराया गया.
Source : Avneesh Chaudhary