कोरोना वायरस महामारी से मरने वालों के परिवार को मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई है. इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि सभी राज्यों को यह निर्देश दिया जाए कि वह मरने वालों के डेथ सर्टिफिकेट में मौत की सही वजह दर्ज करें, ताकि परिवार को मुआवजा मिल सके. सुप्रीम कोर्ट अब इस मसले पर 11 जून को सुनवाई करेगा.
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सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल ने दाखिल की है. याचिका में कहा गया कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा-12 में आपदा से मरने वाले लोगों के लिए सरकारी मुआवजे का प्रावधान है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पिछले साल केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से मृतकों के परिजनों को 4 लाख का मुआवजा देने को कहा था, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ.
याचिकाकर्ताओं ने साथ में यह भी कहा कि मरने वालों को अस्पताल से सीधे अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है. उनका न पोस्टमॉर्टम होता और न डेथ सर्टिफिकेट में लिखा जाता है कि मृत्यु का कारण कोरोना था. याचिका में कहा गया कि अगर ऐसे में मुआवजा दिया भी जाए तो लोग उसका लाभ नहीं ले पाएंगे. याचिका में मांग की गई कि कोर्ट सभी राज्यों को यह निर्देश दे कि वह मरने वाले लोगों के डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की सही वजह दर्ज करें, जिससे की उनके परिवार को मुआवजा मिल सके.
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याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अशोक भूषण और एमआर शाह की बेंच ने पूछा कि क्या किसी राज्य ने अपनी तरफ से मुआवजा दिया है? जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ऐसा किसी राज्य ने नहीं किया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका को अहम बताते हुए केंद्र से जवाब देने के लिए कहा है. साथ में सुप्रीम कोर्ट ने मृत्यु प्रमाणपत्र में कोरोना को मौत की वजह लिखने को लेकर सरकार की नीति और ICMR के निर्देशों के बारे में भी जानकारी मांगी है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार यह भी बताए कि क्या वह राज्यों को कोरोना से मरने वालों के परिवार को मुआवजा देने के लिए कहेगा.