पश्चिम बंगाल में चुनाव (West Bengal Election) के बाद हुई हिंसा की SIT जांच और लोगों को सुरक्षा देने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ममता सरकार (Mamata Government) और केंद्र सरकार (Modi Government) को नोटिस जारी किया है. हिंसा का शिकार कुछ लोग और सामाजिक कार्यकताओं की ओर से दायर अर्जी में कहा गया था कि टीएमसी (TMC) की जीत के बाद पश्चिम बंगाल से करीब एक लाख लोगों को पलायन करना पड़ा. उनकी संपत्ति को नुकसान और महिलाओं के साथ यौन हिंसा हो रही है.
याचिका में कहा गया था राज्य में सत्ताधारी TMC के लोग लगातार विपक्ष समर्थकों पर हमले कर रहे हैं. 19 लोगों की हत्या हुई है. विपक्षी पार्टी के दफ्तरों के अलावा आम नागरिकों की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. महिलाओं के साथ यौन हिंसा हो रही है, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी बैठी है. उल्टे उन पर अपने साथ हुई घटनाओं की दर्ज न करवाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट हिंसा की जांच के लिए SIT का गठन करे और हिंसा पीड़ित लोगों की सहायता के लिए विशेष हेल्पलाइन बनाई जाए, जिसका नियंत्रण केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हाथ में हो.
याचिकाकर्ता के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग को पक्षकार बनाने की अनुमति दी. अगले फिर हफ्ते सुनवाई होगी.
नारदा स्टिंग केस में गिरफ्तार TMC नेताओं पर SC ने सुनवाई से किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने नारदा स्टिंग केस (Narada case) में गिरफ्तार किए गए तृणमूल कांग्रेस नेताओं की सुनवाई से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) की पांच जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि इस लिहाज CBI अपनी याचिका वापस ले. सीबीआइ और इस मामले से जुड़े दूसरे पक्ष हाई कोर्ट के सामने अपनी बात रखें. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें फिरहाद हाकिम, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी और शोवन चटर्जी को हाउस अरेस्ट में भेजा गया था.
इसके पहले नारदा घोटाला मामले में एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं फरहाद हाकिम, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी और सोवन चटर्जी को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बजाय इन्हें 'हाउस अरेस्ट' करने का आदेश दिया गया था. जिसके खिलाफ अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सीबीआई की ओर से टीएमसी नेताओं को नजरबंद करने की अनुमति देने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और आज सुनवाई स्थगित करने की मांग की थी.
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि- राज्य में CBI दफ्तर को हज़ारों लोगों ने घेरा. पथराव हुआ. आखिर आरोपियों को निचली अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश करने के लिए हमें हाई कोर्ट में आवेदन देना पड़ा.राज्य के कानून मंत्री पूरा दिन कोर्ट परिसर में बैठे रहे. वहां पूरी तरह अराजकता थी. ममता बनर्जी ख़ुद CBI दफ्तर पर घरने पर बैठ गई. पश्चिम बंगाल में ऐसा लगातार हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा - मुख्यमंत्री हो या क़ानून मंत्री . हम धरने जैसी किसी हरकत को सही नहीं मानते, लेकिन क्या इसके चलते किसी आरोपी को ज़मानत नहीं मिलनी चाहिए. जिन अधिकारियों ने क़ानून को हाथ में लिया है, उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है.
Source : News Nation Bureau