सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने व्हाट्सएप (WhatsApp) की नई प्राइवेट पॉलिसी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए फेसबुक (Facebook) और व्हाट्सएप को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि व्हाट्सएप ने अपनी नई पॉलिसी में भारत और यूरोप के देशों के लिए अलग-अलग मानक निर्धारित किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में डेटा प्रोटेक्शन कानून बनने वाला है, लेकिन इसका इंतज़ार किए बिना ही व्हाट्सएप नई पॉलिसी ले कर आया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले सुनवाई को अगले 4 सप्ताह के लिए टाल दिया है. इस तरह से इस मामले पर अब चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी.
आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने व्हाट्सऐप और फेसबुक को लताड़ते हुए से कहा आप 2-3 ट्रिलियन कंपनी अपने लिए होंगे लेकिन लोगों की निजता की कीमत आपकी कंपनी से कहीं ज़्यादा है. आपको बता दें कि व्हाट्सएप (WhatsApp) की नई पॉलिसी पर भारत सरकार भी कड़ा ऐतराज जता चुकी है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फेसबुक के स्वामित्व वाले मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप के सीईओ विल कैथार्ट को इस मामले को लेकर पत्र भी लिखा था. सरकार ने व्हाट्सएप के सीईओ से इसको लेकर जवाब मांगा है और कड़े शब्दों में कहा है कि भारतीय यूजर्स के लिए वह इस पॉलिसी को वापस लें.
सूत्रों ने बताया कि व्हाट्सएप के सीईओ को सरकार की गोपनीयता, डेटा ट्रांसफर और नीतियों को साझा करने के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब देने के लिए कहा गया है. मंत्रालय ने उपयोगकर्ताओं की सूचना सुरक्षा की चिंताओं को उठाया, क्योंकि व्हाट्सएप की नई नीति में अन्य फेसबुक कंपनियों के साथ व्यापार खातों के उपयोगकर्ताओं के मेटाडेटा को साझा करने का प्रस्ताव है. यह फेसबुक समूह के साथ उपयोगकर्ताओं के बारे में जानकारी का एक हनीपोट (Honeypot) बनाएगा, जो उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षा जोखिम और कमजोरियां पैदा कर सकता है.
मंत्रालय ने आगे व्हाट्सएप के ऑल-ऑर-नथिंग (All-or-Nothing) दृष्टिकोण पर आपत्ति जताई, जो उपयोगकर्ताओं को नई सेवा शर्तों और गोपनीयता नीतियों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करता है. पॉलिसी में उपभोक्ताओं को इनकार करने की गुंजाइश नहीं दी गई है. भारत सरकार ने कंपनी को सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले में आए प्राइवेसी नियमों के बारे में याद दिलाया है. मंत्रालय ने व्हाट्सएप से आगे पूछा है कि वे ऐसे महत्वपूर्ण बदलाव क्यों लाए हैं, जब भारत की संसद पहले से ही व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर विचार कर रही है.
Source : News Nation Bureau