64 दिनों से शाहीनबाग में चल रहे गतिरोध के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त तेवर अपनाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा, हम अधिकारों की रक्षा के नाम पर विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सड़क जाम कर दें या रास्ता ब्लॉक कर दें. जस्टिस संजय कौशल, जस्टिस के.एम. जोसेफ की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा, लोकतंत्र हर किसी के लिए है, विरोध के नाम पर कोई भी सड़क जाम नहीं कर सकता. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े को वार्ताकार के तौर पर नियुक्त किया. वकील साधना रामचंद्रन वकील संजय हेगड़े की मदद करेंगी. मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी.
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शाहीनबाग प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए वार्ताकार नियुक्त वकील संजय हेगड़े ने सुनवाई के दौरान अपील की कि उनके साथ रिटायर्ड जस्टिस कुरियन जोसेफ को भेजा जाए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संजय हेगड़े को पुलिस सुरक्षा देने की भी अपील की.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारी चिंता सीमित है, अगर हर कोई सड़क पर उतरने लगा तो क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को इस मामले में एक हलफनामा दायर करने को भी कहा है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 64 दिनों से जारी प्रदर्शन बातचीत से भी खत्म नहीं होता है तो हम अथॉरिटी को एक्शन के लिए खुली छूट देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार से प्रदर्शनकारियों को हटाने के विकल्पों पर चर्चा करने और उनसे बातचीत करने को भी कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारी चिंता सीमित है. अगर हर कोई सड़क पर उतरने लगा तो क्या होगा? लोकतंत्र तो सबके लिए है. दिल्ली में हमारी चिंता ट्रैफिक को लेकर है. अगर आपकी मांग भी जायज है तो आप रास्ता कैसे बंद कर सकते हैं. चंद्रशेखर आजाद की ओर से पेश वकील ने कहा कि देश में ऐसे पांच हजार प्रदर्शन होंगे. इसपर कोर्ट ने कहा, हमें 5000 प्रदर्शनों से दिक्कत नहीं हैं, लेकिन रास्ता बंद नहीं होना चाहिए. हमें बस सड़क के ब्लॉक होने से चिंता है.
Source : Arvind Singh