सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के संरक्षण और रखरखाव को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि 'हम चाहते है कि ताजमहल को संरक्षित रखा जाए लेकिन अगर सरकार ने इसे खत्म करने का फैसला कर ही लिया है, तो वो स्वतंत्र है।'
कोर्ट ने ताजमहल के संरक्षण और रखरखाव के लिए विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में विफल रहने पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि इस ऐतिहासिक स्मारक के संरक्षण को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं या किस तरह की कार्रवाई की जरूरत है इस पर विस्तृत जानकारी दे।
जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की एक बेंच ने कहा कि ताज के संरक्षण पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट के बावजूद सरकार के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं लिया गया है।
वहीं केंद्र सरकार ने कहा है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर ताजमहल के आसपास वायु प्रदूषण स्तर की जांच कर रहा है और चार महीने में अपनी रिपोर्ट देगा।
केंद्र ने कोर्ट को कहा कि ताज के आसपास प्रदूषण के स्रोतों को जानने के लिए एक कमेटी बनाई गई है जो इसे रोकने के उपायों पर सुझाव देगी।
सुप्रीम कोर्ट कोर्ट की नाराजगी इसको लेकर थी कि ताजमहल के आस-पास के क्षेत्र (टीटीजेड) में उद्योगों की मनाही के कोर्ट के आदेश के बावजूद उसकी अवेहलना क्यों हो रही है
पर्यावरणविद एम सी मेहता ने प्रदूषणकारी गैसों के प्रभाव से ताज की सुरक्षा पर हो रहे खतरे को लेकर एक याचिका दायर की हुई है। कोर्ट को बताया गया है कि टीटीजेड में अचानक से बढ़ रही उद्योग गतिविधि से ताजमहल की सुरक्षा पर संकट पैदा हो गया है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 31 जुलाई से इस मुद्दे पर रोजाना सुनवाई की जाएगी।
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Source : News Nation Bureau