रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को राहत देते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर तीन हफ्तों के लिए रोक लगा दी है. इसके साथ ही अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल करने के लिए भी तीन सप्ताह का समय दिया है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ सात अलग-अलग राज्यों में अर्णब के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर भी सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है. इसकी प्रतिक्रियास्वरूप बुधवार-गुरुवार रात को स्टूडियो से घर लौटते वक्त अर्णब पर हुए हमले के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई पुलिस कमिश्नर से अर्णब और रिपब्लिक टीवी को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है.
पत्रकार अर्णब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच में सुनवाई प्रारंभ हुई. अर्णब ने इन मुकदमों पर रोक लगाने की मांग की है. अर्णब गोस्वामी की ओर से दलीलें रखते हुए मुकल रोहतगी ने कहा, पालघर में 12 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में 200 लोगों की भीड़ ने दो साधुओं की हत्या कर डाली. किसी ने पूरी वारदात की वीडियो बना ली पर दुःख की बात ये है कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही मानो इस अपराध में उनकी मिलीभगत हो.
मुकल रोहतगी ने कहा, अर्णब ने अपने प्रोग्राम में पुलिस के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष की खामोशी पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि अगर मरने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के होते तो क्या तब भी वो यूं ही खामोश रहतीं. 21 अप्रैल को प्रसारित हुए इस प्रोग्राम के बाद ही कई राज्यों में उन पर एफआईआऱ दर्ज करवा दी गई. रोहतगी ने कहा, अर्णब के खिलाफ दर्ज इन एफआईआऱ की भाषा एक जैसी है. कांगेस नेता ऐसे ट्वीट कर रहे हैं, जैसे वो मानहानि का मुकदमा दायर करने जा रहे हैं, जबकि मानहानि का मुकदमा सिर्फ पीड़ित पक्ष की ओर से किया जा सकता है.
रोहतगी ने कहा, रात को घर लौटते वक्त अर्णब और उनकी पत्नी पर हमला किया गया. मोटरसाइकिल सवार लोगों ने हमला किया. यह अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश है. सुप्रीम कोर्ट हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी का पक्षधर रहा है. दो साधुओं की हत्या के बाद हिंदू समाज में रोष था. क्या उस गुस्से को सामने रखना, सवाल पूछना गलत है? रोहतगी ने यह भी कहा, अर्णब की डिबेट में कोई धार्मिल एंगल नहीं था. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष की खामोशी, साधु समाज में रोष और पुलिस की अकर्मण्यता को लेकर सवाल किए थे.
इसके बाद विपक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, आर्टिकल 32 के तहत यह मामला सुप्रीम कोर्ट के दखल का नहीं है. मुकदमा दर्ज हुआ है, तो पुलिस को अपना काम करने देना चाहिए. हां, सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि एक साथ जांच हो पर ऐसे एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती. अगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एफआईआर दर्ज कराई है, तो उसमें दिक्कत क्या है? राहुल गांधी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से दायर मानहानि के मुकदमों को झेला है. छत्तीसगढ़ के वकील विवेक तन्खा ने भी कहा कि अर्णब ने ब्रॉडकास्ट लाइसेंस का उल्लंघन कर सांप्रदायिक उन्माद फैलाया. उन्हें इसके लिए कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अर्णब गोस्वामी के खिलाफ एक ही मामले में कई राज्यों में मुकदमा नही चलाया जा सकता. लिहाजा सभी एफआईआऱ को एक साथ जोड़ा जाएगा. अदालत ने अर्णब को जांच में सहयोग करने को कहा है. आठ हफ्ते बाद मामला सुनवाई पर आएगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अलग अलग राज्यो में दर्ज एफआईआऱ को रद्द करने की मांग पर विभिन्न राज्यो को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता अर्णब को याचिका में संशोधन करने को कहा. अदालत ने कहा का याचिकाकर्ता कोर्ट से सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़े जाने का आग्रह करे.
Source : News State