दुष्कर्म के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू के बेटे नारायण साईं को भी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नही मिली. सुप्रीम कोर्ट ने नारायण साईं की दो हफ्ते की फरलो पर रोक लगा दी है. दरअसल गुजरात हाई कोर्ट ने नारायण साईं की दो हफ्ते की फरलो मंजूर की थी. गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए आसाराम के बेटे नारायण साईं की दो हफ्तों की फरलो पर रोक लगा दी है. नारायण साईं 2014 के एक दुष्कर्म मामले में दोषी है और वर्तमान में वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
एसजी तुषार मेहता हाईकोर्ट के जून के आदेश को चुनौती देने के लिए गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए थे. इससे पहले नारायण साईं ने 14 दिन की जमानत की गुहार लगाई थी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने साईं की याचिका मंजूर की थी. आसाराम के बेटे नारायण साईं को दुष्कर्म मामले में सूरत की एक सेशन कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. नारायण साईं को दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा दी गई थी.साथ ही उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. सूरत की दो बहनों से दुष्कर्म के आरोप में नारायण साईं को दोषी करार दिया गया था. सूरत की सेशन कोर्ट ने करीब 11 साल पुराने मामले में सजा का ऐलान किया था.
पुलिस ने दुष्कर्म पीड़िता बहनों के बयान पर नारायण साईं और आसाराम बापू के खिलाफ केस दर्ज किया था. इसके साथ ही पुलिस को घटनास्थल से कई सारे सबूत मिले थे. पीड़िता छोटी बहन ने नारायण साईं के खिलाफ पुलिस को ठोस सबूत दिए थे. साथ ही मौका-ए-वारदात से मिले सबूतों की पहचान भी की थी. बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया था. केस दर्ज होने के बाद साईं अंडरग्राउंड हो गया था. इसके करीब दो महीने बाद साल 2013 के दिसंबर महीने में उसे हरियाणा-दिल्ली सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया था. वो सिख के वेश में घूम रहा था. एक बहन ने साईं पर आरोप लगाया था कि उसने साल 2002 और 2005 के बीच सूरत में आश्रम में रहने के दौरान यौन शोषण किया था. पीड़िता की बड़ी बहन का आसाराम पर आरोप था कि उसने 1997 और 2006 के बीच अहमदाबाद में आश्रम में रहने के दौरान यौन शोषण किया था.
HIGHLIGHTS
- आसाराम के बेटे नारायण साईं की दो हफ्तों की फरलो पर रोक
- दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास की सजा रहा है काट
- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को रोका